Chhath Puja 2023: कौन हैं छठी मैया, जानें पौराणिक कहानियां

Chhath Puja 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, छठ पूजा प्रत्येक साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू हो जाती है। इसके साथ षष्ठी और सप्तमी तिथि को छठी मैया और सूर्य देव की विशेष आराधना की जाती है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि छठ पूजा का पर्व क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व...
क्यों मनाया जाता है छठ पर्व
छठी मइया को बच्चों की माता कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि छठी मइया की पूजा करने से बच्चों की आयु लंबी होती है। इसके साथ ही बच्चों को आरोग्य होने का वरदान मिलता है। जिन महिलाओं की संतान नहीं होती, वे महिलाएं छठी मइया का व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है।
कौन हैं छठी माता
पौराणिक मान्यता के अनुसार, छठी मइया को ब्रह्मा की मानस पुत्री कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि छठी माता की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इन्हें सूर्य देव की बहन भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है छठी माता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने अपने शरीर को दो भागों में विभाजित कर दिया था। सृष्टि रचयिता के दाएं भाग से पुरुष और बाएं भाग से प्रकृति का जन्म हुआ। प्रकृति ने अपने आप को छह हिस्सों में बांटा। प्रकृति देवी के छठे हिस्से को षष्ठी देवी यानी छठी देवी कहा जाता है।
सूर्य देव को क्यों दिया जाता है अर्घ्य
पौराणिक मान्यता के अनुसार, छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल के समय से मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कर्ण का जन्म सूर्य देव के वरदान के कारण कुंती के गर्भ से हुआ था। इसी वजह से कर्ण सूर्य पुत्र कहलाते हैं। सूर्यनारायण की कृपा से कर्ण को कवच कुंडल प्राप्त हुए थे। सूर्य भगवान की तेज की वजह से कर्ण महान, तेजवान योद्धा बने।
सूर्य अर्घ्य को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं, जिसमें सबसे ज्यादा प्रचलित कथा यह है कि कर्ण सूर्य भगवान के परम भक्त थे और छठ पर्व की शुरुआत सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने की थी। कर्ण प्रतिदिन घंटों पानी में खड़े रहकर सूर्य भगवान की पूजा कर उन्हें अर्घ्य देते थे। तब से लेकर आज तक छठ पूजा में सूर्य की यही पद्धति प्रचलित है।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
सप्तमी को सूर्योदय को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। सुबह के समय सूर्य पत्नी ऊषा को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य को जल देने के एक नहीं, बल्कि कई फायदे हैं। ऐसा माना जाता है कि सूर्य को अर्घ्य देने से सौभाग्य बना रहता है। इसके साथ ही सुबह के समय सूर्य की आराधना से सेहत अच्छी रहती है।
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