आइए जानें सावन के प्रमुख पर्व, क्या हैं इनकी विशेषताएं

वैसे तो सावन मास में महादेव के साथ-साथ भगवान श्रीहरि की पूजा करने से समस्त देवी-देवताओं की पूजा का फल प्राप्त हो जाता है। पर सावन मास में लोग शिव की ही आराधना करते हैं। और यह मास शिव को बहुत प्रिय है। इस मास में शिव की पूजा करने से श्रद्धालुओं के सारे कष्ट मिट जाते हैं। और जीवन के अंत में प्राणी मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। सावन को बहुत ही पवित्र मास माना जाता है। श्रद्धालु इस मास में शिवलिंग पर गंगाजल या गंगाजल मिश्रित जल, काले तिल, चावल, भांग, धतूरा, बिल्वपत्र, सुगंधित फूल मेवा, मिष्ठान और ऋतुफल आदि समर्पित करते हैं। इस मास में कई प्रमुख तिथियां और पर्व भी आते हैं। जोकि इस प्रकार हैं।
कामिका एकादशी: कामिका एकादशी का त्यौहार 16 जुलाई बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से समस्त पापों का नाश हो जाता है।
सावन शिवरात्रि: सावन मास शिव का प्रिय मास है और इस मास की शिवरात्रि के दिन भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन महादेव के साथ देवी पार्वती की आराधना की जाती है। इस साल सावन शिवरात्रि 19 जुलाई रविवार को है।
सोमवती अमावस्या या हरियाली अमावस्या : इस अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रकृति पूजा की जाती है। भक्त इस दिन पौधारोपण कर धरती को हरा-भरा बनाए रखने की कवायद शुरू करते हैं। पितृकार्यों के लिए यह श्रेष्ठ फलदायी है। इस साल श्रावणी अमावस्या 20 जुलाई सोमवार को है।
हरियाली तीज : मान्यता है कि इस दिन महादेव और देवी पार्वती कैलाश छोड़कर धरती पर निवास करते हैं। महिलाओं के लिए इस त्योहार का खास महत्व है। सुहागिन महिलाए इस दिन सोलह श्रंगार करती हैं और तीज खेलती हैं तथा दिन भर झूले पर झूलतीं हैं। हरियाली तीज का पर्व इस बार 23 जुलाई दिन बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा।
नागपंचमी: नागपंचमी का पर्व सावन मनाया जाएगा। इस दिन लोग सर्पों की पूजा और आराधना करते हैं। इस दिन लोग घरों में तवा, कड़ाई चूल्हे पर नहीं चढ़ाते हैं। सब्जियों को काटा नहीं जाता है और सूई धागे तक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ग्रामीण लोग अपनी पहली फसल को नाग देवता को चढ़ाकर उनका आभार व्यक्त करते हैं। नागों में वासुकी, तक्षक और शेषनाग काफी प्रसिद्ध हैं। इस साल नागपंचमी 25 जुलाई शनिवार को है।
रक्षाबंधन: भाई-बहन के प्यार का पर्व यह दिन सावन मास का अंतिम दिन है। और यह सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार पर्व तीन अगस्त को मनाया जाएगा।
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