Deepawli 2020: जानिए दीपावली की पौराणिक कथा

Deepawli 2020: जानिए दीपावली की पौराणिक कथा
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Deepawli 2020: कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। और यह दीपावली का पर्व पांच दिन का पर्व कहलाया जाता है।

Deepawli 2020: कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। और यह दीपावली का पर्व पांच दिन का पर्व कहलाया जाता है। जोकि धनतेरस से भाई दूज तक होता है। दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और इस पूजन में सबसे महत्वपूर्ण बात होती है दीपावली की कथा पढ़ने और सुनने के बारें में। इसलिए दीपावली के दिन आपको दीपावली की पौराणिक कथा जरुर सुननी चाहिए।

दीपावली की कथा कहानी (Deepawli ki kahani)

एक बार भगवान विष्णु माता लक्ष्मी जी सहित पृथ्वी पर घूमने आए। कुछ देर के बाद भगवान विष्णु लक्ष्मी जी से बोले कि मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं। और तुम यही ठहरों। परन्तु लक्ष्मी जी भी विष्णु जी के पीछे ही चल दीं। कुछ दूर चलने पर उन्हें गन्ने का एक खेत मिला। और लक्ष्मी जी उस गन्ने के खेत में जाकर एक गन्ना तोड़कर खाने लगीं। तभी भगवान श्रीहरि विष्णु वहां लौटे। और उन्होंने लक्ष्मी जी को गन्ने को खाते हुए देखा। तो भगवान विष्णु लक्ष्मी को देखकर क्रोधित हो गए। और क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से पूछा कि जब मैंने तुम्हें मना किया था तो तुम यहां क्यों आईं। और भगववान विष्णु ने ऐसा कहकर मां लक्ष्मी को श्राप दे दिया। और कहा कि ये खेत जिस भी किसान का है तुम्हें वहां जाकर 12 वर्ष तक उसके घर रहकर उस किसान की सेवा करनी पड़ेगी। क्योंकि तुमने चोरी की है।

ऐसा कहकर विष्णु भगवान तो क्षीर सागर लौट गए। और लक्ष्मी जी ने किसान के यहां रहकर उसे धन-धान्य से परिपूर्ण कर दिया।

उस किसान को यह पता ही नहीं था कि उसके घर में साधारण भेष में स्वयं मां लक्ष्मी जी आकर रहने आई हैं। 12 वर्ष के बाद लक्ष्मी जी भगवान विष्णु के पास जाने के लिए तैयार हो गई। परन्तु किसान ने उन्हें जाने से रोक दिया।

श्राप की अवधि पूर्ण होने पर भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को स्वयं वापस लेने आए। लेकिन किसान ने लक्ष्मी जी को रोक लिया। इस पर भगवान विष्णु ने उस किसान से कहा कि तुम परिवार समेत गंगा स्नान करने जाओं। और इन कौड़ियों को गंगाजल में छोड़ देना। तुम्हारे आने तक मैं यहीं रहूंगा।

ऐसा सुनकर किसान गंगा नदी में स्नान करने परिवार के सहित पहुंच गया। और गंगाजी में कौड़िया डालते ही चार भुजाएं निकली जिन्होंने वे कौड़ियां अपने पास ले लीं। यह देखकर किसान ने गंगाजी से पूछा कि ये चार हाथ किसके हैं। तब गंगाजी ने किसान को बताया कि ये चारों हाथ मेरे ही थे। तुमने जो कौड़ियां मुझे भेंट की हैं वे तुम्हें किसने दीं हैं।

किसान बोला कि मेरे घर पर एक स्त्री और पुरूष आएं हैं। तभी गंगाजी बोलीं कि वे दोनों लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु हैं। तुम लक्ष्मी जी को मत जाने देना। नहीं तो तुम फिर से निर्धन हो जाओगे। किसान ने घर लौटने पर लक्ष्मी जी को नहीं जाने दिया। तब भगवान ने किसान को समझाया कि मेरे श्राप के कारण लक्ष्मी जी तुम्हारे यहां 12 वर्ष रहीं। और 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही हैं। फिर लक्ष्मी जी चंचल हैं। उन्हें बड़े-बड़े लोग नहीं रोक सकें। तो तुम हट मत करो।

इसके बाद लक्ष्मी जी बोली कि हे किसान यदि तुम मुझे रोकना चाहते हो तो कल धनतेरस है। तुम अपना घर स्वच्छ करना। और रात्रि में घी का दीपक जलाना। मैं तुम्हारें घर जरुर आऊंगी। तुम पूजा करोगे तो मैं तुम्हारे घर जरुर विराजमान रहूंगी। ऐसा सुनकर किसान लक्ष्मी जी की पूजा करने लगा। तो उसका घर धन-धान्य से भर गया। और इसी प्रकार उस गांव के लोग भी मां लक्ष्मी जी की धनतेरस और दिवाली पर पूजा करने लगे तो उनका घर भी धन-धान्य से भर गया।

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