प्रश्न कुंडली के आधार पर देव पित्रादी दोष और निवारण के उपाय, आप भी जानें

प्रश्नकर्ता द्वारा किए गए प्रश्न के दौरान जो कुंडली बनाई जाती है। अर्थात प्रश्नकर्ता द्वारा किए गए प्रश्न के दौरान कुंडली में जो लग्न आए। उस लग्न के द्वारा बनाई गई कुंडली को ज्योतिष में प्रश्न कुंडली कहते हैं। प्रश्न कुंडली के द्वारा ज्योतिष में अनेक समस्याओं का समाधान किया जाता है। तो आइए आप भी जानें श्रीराम कथा वाचक पंडित उमाशंकर भारद्वाज के अनुसार प्रश्न कुंडली के आधार पर देव पित्रादी दोष और उसके निवारण के उपाय।
1. प्रश्न के समय मेष लग्न आए तो पितृ दोष समझाना चाहिए। इस दोष का बुरा परिणाम गर्मी, तृष्णा, चिंता, बुखार, वमन, और सिर में पीड़ा होती है। इसकी शांति हेतु ब्राह्मण भोजन, तर्पण, पिंडदान व पांच दिन तक एक-एक घड़ा जल पीपल के वृक्ष की जड़ में डालें और पीपल की पूजा करें इससे पितृ-दोष की शांति होगी।
2. प्रश्न के समय वृषभ लग्न आए तो गोत्र का दोष समझना चाहिए। और इस दोष से शरीर में ज्वर, ताप, तृष्णा, शक्ति का नाश, कान और नेत्र में विकार होते हैं, इसकी शांति हेतु चंडी पाठ, नेवैध्य और देवी के लिए क्षीर का हवन कारने से पीड़ाए दूर होगी।
3. प्रश्न के समय मिथुन लग्न आए तो देवी का दोष समझना चाहिए इस दोष में भ्रम, कमर दर्द शरीर में वाइरल फीवर की तरह का दर्द होता है इसकी शांति के लिए पिंड दान गुग्गल से १०८ आहुति देवी को देने से शांति मिलती है।
4. प्रश्न के समय यदि कर्क लग्न आए तो भयंकर शाकिनी दोष समझना चाहिए। इसमें अर्जीण, वायु और मुख तथा सिर में पीड़ा होती है। उसकी शांति हेतु दूध और उड़द का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। और घी का दीपक जलाने से इन दोषों का नाश होता है।
5. यदि प्रश्न के समय सिंह लग्न का उदय हो प्रेत दोष समझें। इससे अग्निभय, उल्टी व दस्त हो जाते हैं। इसकी शांति के लिए शास्त्रों में पुत्तल विधान करके ब्राह्मणों को भोजन, पिंड दान और तिलों से तर्पण करना चाहिए।
6. प्रश्न के समय यदि कन्या लग्न आए तो पिछले जन्मों के कर्मों का दोष समझना चाहिए। इसमें पीड़ित व्यक्ति बकवास, मूर्छा, भ्रम, ताप, अज्ञात भय, दुर्भाग्य होने का भय होता है। इन दोषों कि शांति के लिए ओम हों जूं सः लघु मृत्युंजय का जप और हवन करना चाहिए।
7. यदि प्रश्न के समय तुला लग्न आए तो क्षेत्रपाल का दोष जानना चाहिए। इससे ताप, पीड़ा आंखों में लालीपन आदि विकार उत्पन्न होते हैं। इस दोष की शांति के लिए ब्राह्मणों को घी, लालपुष्प, सिंदूर, तिल, उड़द और लोहा इत्यादि दान करना चाहिए।
8. प्रश्न के समय यदि वृश्चिक लग्न आती है तो बैताल का दोष समझाना चाहिए। इस दोष के कारण बकवास, भ्रम, और नेत्रों कि पीड़ा होती है। इस दोष की शांति के लिए कनेर के पुष्प और गुग्गल सहित घी की आहुति दें।
9. प्रश्न के समय यदि धनु लग्न आती है तो इसे महामारी का दोष जानें। इस दोष के कारण माथे में पीड़ा, ज्वर, शरीर में पीड़ा सताती है, इस दोष की शांति के लिए चंडी या क्षेत्रपाल की पूजा करें।
10. प्रश्न के समय यदि मकर लग्न आती है, तो इसे मार्गनि, या क्षेत्रपाल का दोष समझना चाहिए। इस दोष के कारण आंख में पीड़ा, ताप और शरीर टूटता है, इस दोष की शांति के लिए स्नान करके दूब से बनाए गए पुतले की लाल पुष्प से पूजा करके रुद्राभिषेक करें।
11. प्रश्न के समय यदि कुंभ लग्न आए तो पूर्वज या गोत्र देवी का दोष समझना चाहिए। इस दोष के कारण ताप, उद्वेग, शोक, अतिसार आदि रोग होते हैं।इस दोष की शांति के लिए पीपल की जड़ में पानी डालना, पिंड दान करना,तिल तर्पण और ब्राह्मणों भोजन करना चाहिए।
12. प्रश्न के समय यदि मीन लग्न आती है, तो कर्कशा, शाकिनी का दोष समझना चाहिए। इस दोष के कारण ह्दय, पेट में पीड़ा, तथा ज्वर होता है, इस दोष की शांति के लिए ब्रह्म भोज तथा गुग्गल कि १०८ आहुति देनी चाहिए।
13. प्रश्न के समय यदि 12वे आठवें भाव में सूर्य हों तो देव, चन्द्रमा हों तो देवी का दोष, शुक्र हों तो जल देवी का दोष, गुरु हों तो पितृ दोष, मंगल हों तो डाकिनी या तंत्र विद्या से किसी के द्वारा कुछ किया गया हों इस प्रकार समझे, बुध हों तो कुल के देवता, शनि हो तो कुल देवी का दोष और राहू हों तो प्रेत दोष होता है इन सभी दोषों की शांति हेतु अपने आराध्य के मंत्र का जाप करें या लघु मृत्युंजय मन्त्र का जाप करना चाहिए।
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