Dev Uthani Ekadashi 2020 Date: देवउठनी एकादशी 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

Dev Uthani Ekadashi 2020 Date: देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) को देवोत्थान और प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन तुलसी विवाह करना बहुत शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु देवश्यनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) पर चार महीने की निद्रा अवस्था में चले जाते हैं। जिसके बाद से ही पृथ्वीं पर सभी तरह के शुभ कार्य बंद हो जाते है। देवश्यनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी पर फिर से जाग्रत अवस्था में आते हैं। जिसके बाद ही शादी,गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं।
देवउठनी एकादशी 2020 तिथि (Dev Uthani Ekadashi 2020 Tithi)
25 नवंबर 2020
देवउठनी एकादशी 2020 शुभ मुहूर्त (Dev Uthani Ekadashi 2020 Subh Muhurat)
देवउठनी एकादशी तिथि प्रारम्भ - रात 2 बजकर 42 मिनट से (25 नवंबर 2020)
देवउठनी एकादशी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 5 बजकर 10 मिनट तक (26 नवंबर 2020)
देवउठनी एकादशी का महत्व (Dev Uthani Ekadashi Ka Mahatva)
देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीनों की निंद से जागते हैं। इसके अलावा यह दिन सभी देवताओं के जागने का दिन भी माना जाता है। देवश्यनी एकादशी के समय भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा अवस्था में चले जाते हैं। जिसके कारण धरती पर सभी तरह के शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है।
जिसके बाद भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी पर अपनी निद्रा अवस्था से बाहर आते हैं और धरती पर एक बार फिर से सभी तरह के शुभ कार्य होने प्रारंभ हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी को देवोत्थान और प्रबोधनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन शालिग्राम जी का विवाह भी तुलसी जी से पूरे रीति रिवाज के साथ कराया जाता है। माना जाता है कि जब देवता अपनी जाग्रत अवस्था में आते हैं तो वह पहली प्रार्थना तुलसी जी की ही स्वीकार करते हैं।
देवउठनी एकादशी की पूजा विधि (Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi)
1. देवउठनी एकादशी के दिन पूजा करने वाले साधक को किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य ही करना चाहिए।
2. इसके बाद किसी साफ चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उसे पवित्र करके उस पर पीला कपड़ा बिछाएं और उनके चरणों की आकृति बनाएं।
3. कपड़ा बिछाने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और उनका चंदन से तिलक करके उन्हें न्हें पीले वस्त्र, पीले फूल,नैवेद्य, फल, मिठाई, बेर सिंघाड़े ,ऋतुफल और गन्ना अर्पित करें।
4.इसके बाद भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें, उनकी आरती उतारें और उन्हें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। शाम के समय पूजा स्थल और अपने घर के मुख्य द्वार पर दीप अवश्य जलाएं।
5.पूजा की सभी विधि संपन्न करने के बाद घंटा अवश्य बजाएं और इन वाक्यों का उच्चारण करें उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास
देवउठनी एकादशी की कथा (Dev Uthani Ekadashi ki Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी ने भगवान विष्णु से पूछा हे प्रभु आप रात और दिन जागते हैं और सो जाते हैं तो करोड़ो वर्षों तक सोते ही रहते हैं। जब आप सोते हैं तो तीनों लोकों में हाहाकार मच जाता है। इसलिए आप अपनी निद्रा का कोई समय क्यों नहीं तय कर लेते। अगर आप ऐसा करेंगे तो मुझे भी कुछ समय आराम करने के लिए मिल जाएगा। माता लक्ष्मी की बात सुनकर भगवान श्री हरि विष्णु मुस्कुराए और बोले हे लक्ष्मी तुम ठीक कह रही हो। मेरे जागने से सभी देवतओं के साथ- साथ तुम्हें भी कष्ट होता है।
जिसकी वजह से तुम जरा भी आराम नहीं कर पाती। इसलिए मैने निश्चय किया है कि मैं आज से प्रत्येक वर्ष चार महिनों के लिए वर्षा ऋतु में निद्रा अवस्था में चला जाऊंगा। उस समय तुम्हारे साथ- साथ सभी देवताओं को भी कुछ आराम मिलेगा।मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलय कालीन महानिद्रा कहलाएगी। मेरी इस निद्रा से मेरे भक्तों का भी कल्याण होगा। इस समय में मेरा जो भी भक्त मेरे सोने की भावना से मेरी सेवा करेगा और मेरे सोने और जागने के आनंदपूर्वक मनाएगा मैं उसके घर में तुम्हारे साथ निवास करूंगा।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS