Devshayani Ekadashi 2020: देवशयनी एकादशी का महत्व

Devshayani Ekadashi 2020: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी है। वह महान पून्यमय, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाली और सभी पापों को हरने वाली तथा उत्तम व्रत है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष में देवशयनी एकादशी के दिन कमल लोचन भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का व्रत करने से बड़े से बड़े पाप दूर होते हैं। एकादशी व्रत करने से आपके दोष खत्म होने के साथ भगवान विष्ण के प्रिय होंगे। इस व्रत को करने से उस लोक के साथ आपका परलोक भी सुधर जाएगा। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इस वर्ष यानि साल 2020 में देवशयनी एकादशी जुलाई महीने की 16 तारीख को है। आज हम आपको देवशयनी एकादशी के महत्व के बारे में बाएंगे।
देवशयनी एकादशी का महत्व
देवशयनी एकादशी के दिन मेरा स्वरुप राजा बली के यहां रहता है और क्षीण सागर में। शेष नाग की सईया पर तब तक शयन करता है। जब तक कार्तिक एकादशी नहीं आ जाती है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भली भांति धर्म का ध्रण निश्चय करना चाहिए। जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है। वह परम गति को प्राप्त होता है। इस कारण यत्नपूर्क इस एकादशी का व्रत करना चाहिए।
एकादशी की रात में जागरण कर चक्र, शंख और गधा धारण करने वाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। ऐसे करने वाले पून्य की गणना करने में चतुर्भुज ब्रह्मा जी भी असमर्थ है। जो इस प्रकार भोग और मोक्ष करने वाली, सर्वपापहारी एकादशी के व्रत का पारण करता है वह जाति का चांडाल होने पर भी संसार में मेरा प्रिय करने वाला है। जो मनुष्य दीप दान, पलास के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए उपासना करते है वे भगवान विष्णु के प्रिय है। चौमासे में भगवान विष्णु निद्रा में होते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए। सावन में साग, भादों में दही, कुवार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए।
जो चौमासे में ब्रह्मचर का पालन करता है, वह परमगति को प्राप्त होता है। राजन एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। सदैव इसका व्रत करना चाहिए, कभी भूलना नहीं चाहिए। शयनी कृष्ण पक्ष की एकादशियां होती है।
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