Devshayani Ekadashi 2021 : देवशयनी एकादशी की ये व्रत कथा दिलाती है अकाल से मुक्ति, जानें...

Devshayani Ekadashi 2021 : देवशयनी एकादशी की ये व्रत कथा दिलाती है अकाल से मुक्ति, जानें...
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  • साल 2021 में देवशयनी एकादशी 20 जुलाई 2021 (20 July 2021) मंगलवार के दिन पड़ रही है।
  • देवशयनी एकादशी के दिन से चार माह के लिए भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं ।

Devshayani ekadashi 2021 : साल 2021 में देवशयनी एकादशी 20 जुलाई 2021 (20 July 2021) मंगलवार के दिन पड़ रही है। देवशयनी एकादशी के दिन से चार माह के लिए भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं । जिसके बाद पृथ्वीं पर सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) पर योगनिद्रा से बाहर आते हैं। वहीं अगर आप भी देवशयनी एकादशी का व्रत करना चाहते हैं और आपको देवशयनी एकादशी की व्रत कथा के बारे में ज्ञान नहीं है तो आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी की कथा के बारे में...

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देवशयनी एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा - "हे माधव! आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत क्या है? हे अर्जुन ! यही प्रश्न एक बार नारद जी ने ब्रह्मा जी से पूछा था। तब ब्रह्मा जी ने नारद से कहा था कि हे नारद तुमने पूरी मानव जाति के उत्थान का प्रश्न पूछा है। तो सुनों एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सबसे उत्तम व्रत माना गया है।

इस व्रत से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। इसलिए आज में आप तुम्हें देवशयनी एकादशी व्रत की कथा सुनाता हूं। एक बार पृथ्वी पर मान्धाता नाम का एक सूर्यवंशी राजा राज करता था। वह राजा सत्यवादी, महान तपस्वी और चक्रवर्ती सभी गुणों से परिपूर्ण था। वह अपनी प्रजा का पालन एक संतान की तरह करता था। उसका राज्य काफी खुशहाल था।

उसके राज्य में किसी भी तरह की कोई भी प्राकृतिक आपदा नही आती थी। लेकिन एक बार सभी देवता उससे किसी बात पर नाराज हो गए । जिसके बाद उसके राज्य में भारी अकाल पड़ गया। प्रजा के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं रह गया था। राज्य में सभी धार्मिक काम भी बंद हो गए। अकाल से पीड़ित प्रजा राजा के पास सहायता के लिए गई और प्रार्थना करने लगी कि 'हे राजन! संसार का मुख्य आधार वर्षा है और हमारे राज्य में वर्षा न होने के कारण अकाल पड़ गया है। प्रजा भूख से मर रही है। 'हे राजन! अपनी प्रजा को इस स्थिति से निकालने के लिए कुछ तो कीजिए नहीं तो हमें किसी दूसरे राज्य में शरण लेनी पड़ेगी।

प्रजा की बात सुनकर राजा ने भगवान की पूजा की और कुछ लोगों के साथ वन की ओर चल दिए। वह प्रत्यके ऋषि के पास इस समस्या का सामधान खोजने के लिए गए । लेकिन किसी के पास भी इस समस्या का कोई भी समाधान नहीं था। अंत में राजा ब्रह्मा जी के मानस पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम पर पहुंचे। ऋषि ने राजा से उसके आने का कारण पूछा तब राजा ने ऋषि को सारी बात बताई।

जिसके बाद ऋषि राजा से कहते हैं कि आषाढ़ शुक्ल देवशयनी नाम की एकादशी का व्रत विधि-विधान पूर्वक व्रत करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में वर्षा होगी और प्रजा भी पूर्व की भांति सुखी हो जाएगी, क्योंकि इस एकादशी का व्रत सिद्धियों को देने वाला है और कष्टों से मुक्त करने वाला है। जिसके बाद राजा के राज्य में अच्छी वर्षा हुई और प्रजा को अकाल से मुक्ति मिल गई। इस एकादशी को पद्मा एकादशी भी कहते हैं। चातुर्मास्य व्रत भी इसी एकादशी के व्रत से आरम्भ किया जाता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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