Dhanteras 2020 : धनतेरस पर इस विधि से करें भगवान धनवंतरी की पूजा,जीवन भर रहेंगे आरोग्य

Dhanteras 2020 : धनतेरस का त्योहार 13 नवंबर 2020 (Dhanteras Festival 13 November 2020) को मनाया जाएगा। इस दिन देवताओं के वैध माने जाने वाले भगवान धनवतंरी की पूजा (Lord Dhanvantri Ki Puja) का विधान है। इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान मिलता है।अगर आप धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा विधिवत करते हैं तो आपको जीवन में कोई भी रोग नहीं सताएगा तो आइए जानते हैं धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा की संपूर्ण विधि।
भगवान धनवंतरी की पूजा विधि (Lord Dhanvantri Puja Vidhi)
1.धनतेरस के दिन घर के पूर्व दिशा या घर के मंदिर के पास साफ सुथरी जगह पर गंगा जल का छिड़काव करें।
2.इसके बाद एक लकड़ी के पीढे पर रोली के माध्यम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं उसके पश्चात एक मिट्टी के दीए को उस पीढे पर रखकर प्रज्जवलित करें।
3. इसके बाद दिए के आसपास तीन बारी गंगाजल का छिड़काव करें और दिए पर रोली का तिलक लगाएं।
4.उसके पश्चात तिलक पर चावल रखें इसके पश्चात एक रुपए का सिक्का दिए में डालें।
5.इसके बाद दिए पर थोड़े पुष्प अर्पित कर दिए को प्रणाम करें।
6.इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों को तिलक लगाएं अब उस दिए को अपने घर के प्रवेश द्वार के समीप रखें उसे दाहिने और रखे तथा ध्यान दें की दिए की लौं दक्षिण दिशा की तरफ हो।
7.इसके पश्चात यम देव की पूजा हेतु मिट्टी का दीया जलाएं तथा भगवान धनवंतरी की पूजा घर में करें तथा आसन पर बैठकर धनवंतरी मंत्र ओम धन धनवंतरी नमः मंत्र का 108 बार यथासंभव जप करें।
8. इसके बाद ध्यान लगाकर यह धनवंतरी देवता मैं यह मंत्र का उच्चारण आपके चरणों में अर्पित करता हूं।
9. धनवंतरी पूजा के पश्चात भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करने अनिवार्य है भगवान श्री गणेश तथा माता लक्ष्मी हेतु मिट्टी के दीए प्रज्वलित करें तथा उनकी पूजा करें।
10.भगवान गणेश माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढ़ाएं तथा मिठाईयों का भोग लगाएं।
11.इसके पश्चात शुभ मुहूर्त में घर की तिजोरी में दीपक जलाकर कुबेर जी का पूजन करना चाहिए ध्यान करते हुए भगवान कुबेर को फूल चढ़ाएं तथा उनका ध्यान लगाकर आह्वान करें।
12. हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले आभा वाले दोनों हाथों में गदा धारण करनेवाले सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत शरीर वाले भगवान शिव के प्रिय मित्र का में ध्यान करता हूं।
13.इसके पश्चात धूप दीप नैवेद्य से पूजन करके इस मंत्र का उच्चारण करें यक्षाय कुबेराय है वैष्णवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देही दापय स्वाहा।
14. इसके पश्चात धान गेहूं उड़द चावल तथा मसूर के साथ भगवती का पूजन करना लाभकारी माना गया है पूजन सामग्री में विशेष रूप से पुष्पा के पुष्प का प्रयोग करना उचित हैं।
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