Dhumavati jayanti 2021 : देवी धूमावती जयंती आज, जानें मंत्र, पूजा विधि और कथा

- धूमावती जयंती (Dhumavati jayanti) 18 जून 2021 यानी आज है।
- धूमावती जयंती समारोह में धूमावती स्तोत्र पाठ (dhoomaavatee stotr paath)और सामूहिक जप का अनुष्ठान होता है।
Dhumavati jayanti 2021 : धूमावती जयंती (Dhumavati jayanti) 18 जून 2021 यानी आज है। धूमावती जयंती समारोह में धूमावती स्तोत्र पाठ (dhoomaavatee stotr paath)और सामूहिक जप का अनुष्ठान होता है। काले वस्त्र में काले तिल बांधकर मां धूमावती को भेंट करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं वेदों में भी कहा गया है कि इससे अकाल मृत्यु की संभावना भी टल जाती है। काले वस्त्र में आप काले तिल बांधकर मां को चुपचाप भेंट करें और जो भी आपकी इच्छा और मनोकामना हो उसे मां के सामने बोल दें।
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वहीं धार्मिक परंपराओं के अनुसार, सुहागन महिलाएं मां धूमावती का पूजन नहीं करती हैं। सुहागन महिलाएं दूर से ही मां के दर्शन करती हैं। मां धूमावती के दर्शन से पुत्र और पति की रक्षा होती है।
पुराणों के अनुसार, एक बार मां धूमावती अपनी दुविधा शांत करने के लिए भगवान शंकर के पास जाती हैं। किन्तु उस समय भगवान शंकर समाधि में लीन थे। मां के बार-बार निवेदन के बाद भी भगवान शंकर की समाधि नहीं खुली। इससे परेशान होकर देवी धूमावती स्वांस खींचकर भगवान शिव को निगल जाती हैं और शिव के गले में विष होने के कारण मां के शरीर से धुंआ निकलने लगता है और उनका स्वरूप विकृत और श्रृंगार विहीन हो जाता है। इसी कारण से उनका नाम धूमावती पड़ जाता है।
धूमावती देवी की पूजा विधि
- धूमावती जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर के पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करके जल, पुष्प, सिन्दूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप तथा नैवैद्य आदि से मां का पूजन करें।
- धूमावती जयंती के दिन मां धूमावती की कथा कहने और सुनने से अक्षय पुण्य मिलता है।
- धूमावती जयंती के दिन मां धूमावती की कृपा से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है।
धूमावती देवी का मंत्र
ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।।
धूं धूं धूमावती ठ: ठ:।
मां धूमावती का तांत्रोक्त मंत्र
धूम्रा मतिव सतिव पूर्णात सा सायुग्मे।
सौभाग्यदात्री सदैव करुणामयि:।।
धूमावती देवी की कथा
देवी धूमावती की जयंती तथा पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने बहुत भूख लगने पर भगवान शिव जी से कुछ खाने की मांग की। जिसके बाद शिव जी ने उन्हें आश्वस्त किया कि वो कुछ खाने का प्रबंध करते है, लेकिन जब शिव कुछ देर तक भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाते है, तब पार्वती ने भूख से बेचैन होकर शिव को ही निगल लिया। इसके बाद भगवान शिव के गले में विष होने की वजह से पार्वती जी के शरीर से धुआं निकलने लगा। जहर के प्रभाव से वह भयंकर दिखने लगी उसके बाद शिव ने उनसे कहा की तुम्हारे इस रूप को धूमावती के नाम से जाना जायेगा, और भगवान शिव के अभिशाप की वजह से उन्हें एक विधवा के रूप में पूजा जाता है। क्योकि उन्होंने अपने पति शिव को ही निगल लिया था। इस रूप में वह बहुत क्रूर दिखती है जो कि एक हाथ में तलवार धारण किये हुए रहती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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