Diwali Special Story: दिवाली पर लक्ष्मी की पूजा में इसलिए रखी जाती है कौड़ियां, जानें महत्व और मान्यता

Diwali Special Story: हिंदुओं के महापर्व दिवाली की तैयारियां चल रही है। इस पूजा को लेकर अलग-अलग विधि-विधान और मान्यताएं हैं। लोग अपनी मान्यता के हिसाब से दिवाली की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान लोग कमल गट्टा, कौड़ियां, कमल का फूल, इत्र, लौंग, मखाना, अनार के पत्ते, बूंदी का लड्डू आदि शामिल करते हैं। वहीं अधिकतर लोग दिवाली पूजा में कौड़ी को मुख्य रूप से शामिल करते हैं। कई बार लोग पूजा में कौड़ियों को शामिल तो कर लेते हैं। लेकिन, उसके बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं होती। आज हम आपको कौड़ी और दिवाली पूजन से जुड़ी मान्यताओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही किसी को पता होगा।
कौड़ियों को इस तरह करें शामिल
अधिकतर लोग लक्ष्मी पूजन में सफेद रंग की कौड़ियों को शामिल करते हैं। लेकिन, पीले रंग की कौड़ी को विशेष और दुर्लभ माना गया है। इस कौड़ी की माता लक्ष्मी और गणेश के साथ 5 दिनों तक पूजा होती है। 5 दिन के बाद इन कौड़ियों को बांधकर तिजोरी में माता लक्ष्मी के चित्र के साथ रख दें। ऐसा करने से तिजोरी कभी खाली नहीं होती है।
लक्ष्मी का प्रतीक है कौड़ी
कौड़ी को धन की देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है क्योंकि असली कौड़ियां समुद्र से निकलती है। समुद्र से मिलने वाले शंख और कौड़ियों को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। इस वजह से इन्हें लक्ष्मी पूजा में शामिल किया जाता है।
आर्थिक तंगी से मिलती है मुक्ति
कौड़ियां समुद्र में पाएं जाने वाले जीव की अस्थि होती है। इसमें धन आकर्षण का स्वाभाविक गुण होता है। इस वजह से इसे तिजोरी में धन के पास रखा जाता है। लक्ष्मी पूजन में कौड़ियों को शामिल करने से धन की बरकत होती है और आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।
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