Dussehra 2020 Date In India : दशहरे पर जानिए कैसे आया रावण की नाभि में अमृत कलश

Dussehra 2020 Date In India : दशहरा 25 अक्टूबर 2020 (Dussehra 25 October 2020) को मनाया जाएगा। रावण एक परम तपस्वी था। जिसने अपनी तपस्या से कई वरदान प्राप्त किए थे। रावण अमर तो नहीं था। लेकिन उसे मारना भी असंभव था। क्योंकि उसने अमृत कलश (Amrit Kalash) को अपनी नाभि में छिपा लिया था। लेकिन रावण के पास यह अमृत कलश कहां से आया आइए जानते हैं...
जानिए कैसे आया रावण की नाभि में अमृत कलश (Kaise Aya Ravan Ki Nabhi Mein Amrit Kalash)
रावण अमर तो नहीं था लेकिन उसे मारना भी असंभ था। इसका कारण था उसकी नाभि में स्थित अमृत कलश जिसके बारे में केवल उसका परिवार ही जानता था। पुराणों के अनुसार रावण ने अपने भाईयों कुंभकर्ण और विभीषण के साथ गोकुंड नाम के आश्रम में तपस्या के लिए गया था। उसने ब्रह्मदेव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था।जिसके लिए उसने दस हजार वर्षों तक तपस्या की थी।वह एक हजार वर्ष पूरा होने के बाद अपना एक सिर हवन कुंड में अर्पित कर देता था।
इस प्रकार नौ हजार वर्ष पूर्ण होने के बाद वह अपने नौ सिरों को हवन कुंड में चढ़ा चुका था।जब दस हजार वर्ष पूर्ण होने वाले थे तो रावण अपना दसवां सिर भी हवन कुंड में चढ़ाने लगा। लेकिन उसी समय ब्रह्म देव प्रकट हो गए और रावण से कहते हैं कि हैं कि रावण मांगो तुम मुझसे क्या मांगना चाहते हों। हम तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हैं। रावण ने ब्रह्म देव से कहा कि हे ब्रह्म देव अगर आप मेरी तपस्या से इतने ही प्रसन्न हैं तो मुझे अमृत्व का वरदान दें।
लेकिन ब्रह्मा जी ने रावण से कहा कि ऐसा संभव नही है। जो भी इस पृथ्वीं पर आया है। उसे तो जाना ही पड़ेगा। तब रावण ने यह वर मांगा की मनुष्य जाति को छोड़कर और कोई भी उसका वध न कर सके। ब्रह्मा जी ने रावण को वरदान देते हुए उसके कटे हुए नौ सिर भी वापस कर दिए। इसके बाद रावण सभी से जीतता गया और एक बार वह यमपुरी पहुंच गया और यमराज के साथ युद्ध करने लगा। रावण और यमराज के बीच में भयंकर युद्ध हुआ।
युद्ध के समय जैसे ही यमराज ने अपने अस्त्र से रावण को मारना चाहा। लेकिन तभी ब्रह्म देव वहां पर प्रकट हो गए और यमराज को रोक दिया।इसके बाद उन्होंने यमराज से कहा कि यह मेरे वरादन के कारण तुमसे नहीं मर सकता है और अगर तुम इस पर अपना अस्त्र चला दोगे तो यह अमृत को प्राप्त कर लेगा।
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