Dussehra 2020 Festival : इस योद्धा ने बनाया रावण को बंदी, अपने हजार हाथों में जकड़कर किया था दशानन का घमंड चूर

Dussehra 2020 Festival : दशहरा 25 अक्टूबर 2020 (Dussehra 25 October 2020) को मनाया जाएगा। इस दिन रावण,मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले फूंके जाते हैं। यह बात तो सभी जानते हैं कि भगवान श्री राम ने रावण का वध का किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान राम से पहले रावण (Ravana) को एक योद्धा ने बुरी तरह युद्ध में हराया था और उसे बंदी बनाकर करागार में डाल दिया था। जिसके बाद रावण के दादा के कहने पर उसे छोड़ा गया था। अगर नहीं तो आज हम आपको उस योद्धा के बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं कौन है वो योद्धा।
रावण और सहस्त्रबाहू अर्जुन का युद्ध (Ravan or Sahastrabahu Arjun Ka Yudh)
रावण का दिगविजय अभियान चल रहा था। कई राज्यों को जीतने के बाद रावण माहिषमति पहुंचा। उस समय वहां पर कृत्यवीर्य अर्जुन शासन कर रहा था। एक दिन रोज की तरह ही वह अपनी रानियों के साथ जलविहार के लिए गया था। रावण भी घूमते-घूमते उसी सरोवर के किनारे पहुंच गया और अपने आराध्य भगवान शिव की आराधना करते हुए उसने वहां पर शिवलिंग की स्थापना की।
उधर अर्जुन की रानियों ने अर्जुन से कौतुक के लिए कुछ आसाधारण करने के लिए कहा। कृत्यवीर्य अर्जुन को वरदान स्वरूप एक हजार भुजाएं प्राप्त हुई थी। इसी कारण से ही कृत्यवीर्य अर्जुन को सहस्त्रबाहु नाम से भी जाना जाता था।अपनी पत्नीयों के इस प्रकार का अनुरोध करने पर अर्जुन ने अपनी हजार भुजाओं से नदी का प्रवाह पूरी तरह से रोक दिया। अचानक जलधारा रूक जाने से नदी का जलस्तर बढ़ गया और उस पर तट पर रावण का बनाया गया शिवलिंग बह गया।
इससे क्रोध में आकर रावण ने अपनी सेना की एक टुकड़ी को इसका कारण पता करने और अपराधी को बंधी बनाकर लाने का आदेश दिया। जब उसकी सेना ने देखा कि अर्जुन ने अपने हजार हाथों से जल का प्रवाह रोक दिया है तो उन्होंने उसे बंधी बनाने के लिए उस पर आक्रमण कर दिया। किंतु अर्जुन के पराक्रम के आगे किसी भी न चली उससे पराजित होकर सारे सैनिक रावण के पास लौटे और रावण को सारी घटना के बारे में बताया।
अपने घमंड में चूर रावण नदी के तट पर पहुंचा और अर्जुन को युद्ध की चुनौती दे डाली। पहले अर्जुन ने कहा कि रावण उसका अतिथि है। किंतु रावण के हठ के आगे उसकी एक न चली और दोनों के बीच में युद्ध हुआ। उनका युद्ध कई दिनों तक चलता रहा और ऐसा लग रहा था कि उनमें से कोई भी पराजित नहीं हो सकता था। अंत में अर्जुन ने क्रोध में आकर रावण को अपने हजार हाथों से जकड़ लिया।
रावण अपनी पूरी शक्ति के बाद भी उसकी पकड़ से निकल नहीं पाया और उसने रावण को बंदी बना लिया बाद में जब रावण के दादा को इस बात का पता चला तो उन्होंने सहस्त्रबाहु से कहकर रावण को मुक्त कराया । इसके बाद रावण ने सहस्त्रबाहु अर्जुन से मित्रता कर ली और लंका लौट गया।
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