Dussehra 2020 Kab Hai : रावण ने मरते समय लक्ष्मण जी को दिए थे जीवन के ये तीन मंत्र, जानिए कैसे है इनके बिना जीवन अधूरा

Dussehra 2020 Kab Hai : रावण ने मरते समय लक्ष्मण जी को दिए थे जीवन के ये तीन मंत्र, जानिए कैसे है इनके बिना जीवन अधूरा
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Dussehra 2020 Kab Hai : दशहरे का त्योहार (Dussehra Festival) बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रावण,कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले फूंके जाते हैं। रावण (Ravan) को बुराई का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण एक महापंडित भी था। जिसके पास भगवान राम ने लक्ष्मण जी को ज्ञान प्राप्त करने के लिए भेजा था।

Dussehra 2020 Kab Hai : दशहरे (Dussehra) के दिन भगवान राम (Lord Rama) ने रावण का वध करके धरती को पाप मुक्त कराया था। रामायण के अनुसार माना जाता है कि रावण में सिर्फ बुराईयां ही नही थीं। बल्कि उसमें कुछ अच्छाईयों भी थी।इसी कारण से भगवान राम ने रावण के मरने से पहले लक्ष्मण जी को उसके पास ज्ञान प्राप्त करने के लिए भेजा था तो आइए जानते हैं लक्ष्मण जी को क्या ज्ञान दिया था रावण ने और कैसे इनके बिना जीवन अधूरा माना जाता है।

दशहरे के दिन रावण,कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले फूंके जाते हैं। यह त्योहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाने और रावण रूपी बुराई को खत्म करने के संदेश को देने की मंशा से मनाया जाता है। रावण को हर दशहरे पर उसके बुरे कर्मों के लिए याद किया जाता है। लेकिन रावण एक महापंडित था। उसमें केवल बुराईयां ही नहीं बल्कि कुछ अच्छाईयां भी थी। जिसकी सीख हमें भी लेनी चाहिए ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार भगवान श्री राम ने लक्ष्मण जी को रावण के पास शिक्षा लेने के लिए भेजा था।

रामायण के अनुसार रावण जब अपने अंतिम समय में था तब भगवान श्री राम ने लक्ष्मण जी को अपने पास बुलाया और राम जी ने लक्ष्मण से कहा कि रावण नीति, राजनीति और शक्ति के महान ज्ञाता है उनके पास जाकर जीवन की कुछ शिक्षा ले लो। राम जी की बात मानकर जब लक्ष्मण जी रावण के पास गए तो रावण ने उन्हें तीन बातें बताई। रावण ने लक्ष्मण जी शिक्षा दी की शुभ कार्य करने में देरी नहीं करनी चाहिए।

इसके अलावा अशुभ को जितना टाल सकते हो टाल दो। लक्ष्मण जी को रावण ने जो दूसरी शिक्षा दी थी वो यह थी कि कभी भी अपने शत्रु को खुद से छोटा नहीं समझना चाहिए।रावण ने स्वीकार किया कि यह उसकी सबसे बड़ी भूल थी। रावण ने भालू और वानर सेना को कम आंका। इसकी वजह से उसका पतन हुआ और वहीं रावण ने लक्ष्मण जी को तीसरी शिक्षा यह दी की अपने रहस्य कभी भी किसी को नहीं बताने चाहिए।

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