भोजन का आपके मन पर क्या असर होता है, जानिए...

भोजन का आपके मन पर क्या असर होता है, जानिए...
X
यह बात तो हम सभी लोग जानते है कि हमारे द्वारा सेवन किए जाने वाले अन्न का असर हमारे मन और बुद्धि पर भी होता है। आप तीन माह तक एक प्रयोग करके देखें और लगातार अपने घर में तैयार किया हुआ सात्विक अन्न का ही सेवन करें।

यह बात तो हम सभी लोग जानते है कि हमारे द्वारा सेवन किए जाने वाले अन्न का असर हमारे मन और बुद्धि पर भी होता है। आप तीन माह तक एक प्रयोग करके देखें और लगातार अपने घर में तैयार किया हुआ सात्विक अन्न का ही सेवन करें। सात्विक अन्न का सेवन करने से आपको अपने आप कुछ ना कुछ बदलाव का अनुभव होने लगेगा। क्योंकि हिन्दू धर्मशास्त्रों में भी कहा गया है कि जैसा अन्न वैसा मन।

Also Read: Singh Rashifal 2021: जानिए सिंह राशि के जातकों के लिए कैसा रहेगा वर्ष 2021

सात्विक अन्न सिर्फ शाकाहारी भोजन नहीं होता है बल्कि वह भोजन परमात्मा की याद में बनाया गया भोजन है। अगर आपने गुस्से में भोजन बनाया है तो उस भोजन को सात्विक भोजन नही कहा जा सकता। इसलिए हमारे परिवार की महिलाओं को कभी भी क्रोध, आवेश और परेशानी की स्थिति में भोजन बनाना ही नहीं चाहिए। और परिवार के लोगों को भी किसी भी परिस्थिति में कभी भी महिलाओं को यानि जो भी स्त्री आपके घर की रसोई में भोजन बनाती हैं उनको डांटना नहीं चाहिए, उन महिलाओं से कभी भी लड़ना नहीं चाहिए। क्योंकि वो महिलाएं रसोईघर में जाकर वैसे ही भाव से भोजन तैयार करेंगी और वैसे ही भाव यानि ऊर्जा उस भोजन को ग्रहण करने से आपके शरीर में प्रवेश कर जाएगी और वैसे ही विचार आपके मन और बुद्धि पर हावी हो जाएंगे। यानि कि जैसे भाव और मानसिकता आप दूसरों के प्रति रखते हैं वहीं भाव और मानसिकता आपके भोजन के माध्यम से आपके परिवार के प्रत्येक सदस्य की बनने लगती है। क्योंकि आपने क्रोध में अपने घर की महिलाओं को कुछ कहा और वहीं महिला उसी मनोस्थिति में आपको ही कुछ घंटे अथवा समय के अंतराल भोजन कराएंगी तो उस मनोस्थिति और उसके परोसे गए भोजन के द्वारा वहीं एनर्जी आपके अंदर प्रवेश कर जाएगी।

Also Read: Shubh vivah muhurat 2021: साल 2021 में विवाह के लिए ये तिथियां हैं शुभ, आप कर सकते हैं इन दिनों में अपनी शादी

यह ध्यान में रखने वाली बात है कि किसी को डांट दो, गुस्सा कर दो और बोलो जाकर भोजन बनाओ, परन्तु भोजन तो उसका हाथ बना रहा है परन्तु उसका मन क्या कर रहा है। उसका मन तो अंदर ही अंदर लगातार चिंता कर रहा है। तो वो सारे विचार, भाव तरंगों के माध्यम से उस भोजन के अंदर जा रहे हैं।

भोजन के प्रकार

1. पहला भोजन जो हम होटल रेस्तरांओं ढाबा में खाते हैं।

2. दूसरा भोजन जो हमारे घर में मां-बहन और हमारी पत्नी आदि बनाती हैं।

3. तीसरा भोजन जो हम मंदिर और गुरूद्वारे आदि में सेवन करते हैं।

तीनों भोजन में मानसिक तरंग अलग-अलग होती हैं।

1. जो लोग रेस्टोरेंट आदि में भोजन बनाते हैं उन लोगों की मानसिक तरंग कैसी होती हैं। जानिए 'आप खाओ और हम कमायें' इसलिए जो लोग ज्यादातर बाहर का खाना खाते हैं उन लोगों की वृति धन कमाने के अलावा कुछ और सोच ही नहीं सकती है। क्योंकि वो लोग खाना भी उसी प्रकार का सेवन कर रहे हैं।

2. घर में जो भोजन मां या पत्नी आदि बनाती हैं वो बड़े प्यार से भोजन को बनाती हैं। घर में आजकल जो धन ज्यादा आ गया है इसलिए हम लोगों ने अपने घर में नौकर रख लिए हैं भोजन आदि बनाने के लिए और वो जो खाना बना रहे हैं इसी सोच से कि आप खाओ हम कमाएं। एक बच्चा अपनी मां को बोले कि एक रोटी और खानी है तो उसकी मां का चेहरा ही खिल जाता है और वही मां कितने प्यार से उस बच्चे के लिए वो रोटी बनाएगी कि मेरे बच्चे ने एक रोटी तो और मांगी। तो वहीं मां उस रोटी में बहुत ज्यादा प्यार भर देती है। वहीं अगर आप अपने नौकर को बोलो एक रोटी और खानी है, तो वही नौकर सोचेगा कि रोज तो दो रोटी खाते हैं और आज एक और चाहिए हो सकता है कि आज मालिक को ज्यादा भूख लगी है, अब तो आटा भी ख़त्म हो गया अब और आटा गुंथना पड़ेगा एक रोटी के लिए। परन्तु ऐसी रोटी तो कभी खानी ही नहीं चाहिए। ऐसी रोटी से तो रोटी नहीं खाना ही उत्तम है।

3. जो भोजन मंदिर और गुरूद्वारे आदि में बनता है। वह प्रसाद बनता है, और वह प्रसाद किस भावना से बनता है कि वह प्रसाद परमात्मा यानि कि ईश्वर को याद करके बनाया जाता है। क्यों न हम लोग भी अपने घर में परमात्मा कि याद में प्रसाद बनाना शुरू कर दें। करना क्या है- घर, रसोई साफ, मन शांत, रसोई में अच्छे गीत (भजन-कीर्तन) चलाएं और परमात्मा को याद करते हुए खाना बनाए। घर में जो प्रॉब्लम है उसके लिए जो समाधान है उसके बारे में परमात्मा को याद करते हुए भोजन बनाए। और भोजन नहीं बल्कि प्रतिदिन भगवान का प्रसाद ही ग्रहण करें। और आपकी जो भी समस्या है उसे भगवान के सामने ही कहें। जैसे कि भगवान से कहे कि कल मेरे बच्चे के परीक्षा है, हे भगवान आप इस प्रसाद रूपी भोजन में बहुत ताकत भर दो, शांति भर दो, ताकि मेरे बच्चे का मन एकदम शांत रहे, और उसकी सारी टेंशन खत्म हो जाए। हे भगवान मेरे पति को व्यापार और नौकरी में बहुत टेंशन है और वो बहुत गुस्सा करते हैं मैं इस खाने में ऐसी शक्ति भरूं कि उनका मन शांत हो जाए। फिर देखिए 'जैसा अन्न वैसा मन' जादू है भोजन में इसलिए कहा जाता है कि किसी को अपना बनाना है तो उसे खाना खिलाना शुरू कर दो फिर वो आपका हो जाएगा क्योंकि भोजन के माध्यम से उसके मन का आपके मन में जुड़ाव हो जाएगा।

Tags

Next Story