Ek Shloki Ramayan: एक श्लोक में है पूरे रामायण कथा का सार, हर रोज पाठ करने से मिलेगा लाभ

Ek Shloki Ramayan: एक श्लोक में है पूरे रामायण कथा का सार, हर रोज पाठ करने से मिलेगा लाभ
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Ek Shloki Ramayan: क्या आपको पता है रामायण का पूरा पाठ मात्र सिर्फ एक श्लोक में पूरा किया जा सकता है। एक श्लोकी रामायण, जिसका हर रोज जाप करने से पूरे रामायण का पाठ करने का फल मिलता है। तो आइए, जानतें हैं उस एक श्लोकी रामायण के बारे में...

Ek Shloki Ramayan: रामायण का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति मिलती है। इसके साथ ही जीवन से नकारात्मकता दूर हो जाती है। रामायण काफी बड़ा ग्रंथ होने के कारण हर रोज इसका पाठ करना थोड़ा मुश्किल है। इसलिए कुछ लोग अपने समयानुसार, रामायण का थोड़ा-थोड़ा पाठ हर रोज करते हैं। कुछ लोगों के पास पूरी रामायण पढ़ने का समय नहीं होता है, तो इसके लिए एक श्लोकी रामायण का जाप कर सकते हैं। ये श्लोक पूरे रामायण की है, जिसका रोजाना पाठ करने से पूरे रामायण के पाठ करने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति हो सकती है।

एक श्लोक में है पूरी रामायण की कथा

रामायण का अर्थ बताने वाला एक श्लोक काफी प्रचलित हैं। ऐसी मान्यता है कि जो जातक इस मंत्र का पाठ करता है, उसे पूरे रामायण पढ़ने का पुण्य फल मिलता है। इसके लिए आप हर रोज सुबह अपने घर के मंदिर में दीपक जलाकर इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। तो आइए, जानते हैं एक श्लोकी रामायण के मंत्र के बारे में...

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ये है एक श्लोकी रामायण का मंत्र

आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।

वैदेहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।

बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।

पश्चाद् रावण कुंभकर्ण हननम्, ऐतद्धि रामायणम्।।

एक श्लोकी रामायण का अर्थ

रामायण के अनुसार, इस एक श्लोकी मंत्र का अर्थ है कि श्रीराम वनवास गए, वहां स्वर्ण मृग का वध किया इसेक बाद सीताजी का रावण ने हरण कर लिया। उसके बाद रावण के हाथों जटायु ने अपने प्राण गवाए। अगली पंक्ति का अर्थ है कि श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हुई। उसके बाद बालि का वध हुआ। समुद्र को पार किया गया। लंका का दहन हुआ। इसके बाद रावण और कुंभकर्ण का वध हुआ। इस एक मंत्र में सारा रामायण का सार छिपा हुआ है।

अपने घर के मंदिर में करें हर रोज इस श्लोक का जाप

प्रात:काल उठकर स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद घर के मंदिर में पूजा करें। मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा के सामने धूप-दीप जलाएं। मंदिर में श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी जरूर रखें। इसके बाद भोग आदि लगाकर पूजन करें और इस श्लोक का जाप करें। शास्त्रों के अनुसार, इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। अगर आपसे 108 बार नहीं हो रहा है तो 11 या 21 बार इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

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Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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