Falgun Month 2021 : फाल्गुन मास में आते हैं ये प्रमुख त्यौहार, जानिए इन पर्वों का महत्व

- प्रत्येक मास में कई त्योहार-व्रत और उपवास आदि जाते हैं, जिन्हें हम लोग एक पर्व के रूप में मनाते हैं।
- दक्षिण भारत में फाल्गुन माह में मंदिरोत्सव का पर्व भी मनाया जाता है।
Falgun Month 2021 : प्रत्येक मास में कई त्योहार-व्रत और उपवास आदि जाते हैं, जिन्हें हम लोग एक पर्व के रूप में मनाते हैं और उस व्रत-त्योहार से संबंधित रीति-रिवाज और पूजा-अनुष्ठान करते हैं। वहीं फाल्गुन मास में अष्टमी तिथि को मां लक्ष्मी और मां सीता की पूजा की जाती है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवजी की आराधना की जाती है। यह दिन महा शिवरात्रि का पर्व कहलाता है। फाल्गुन मास में चंद्रमा का जन्म भी माना जाता है। ऐसे में इस माह चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। इस मास में होली भी मनाई जाती है। दक्षिण भारत में मंदिरोत्सव का पर्व भी मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं देश के प्रमुख ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इस मास में आने वाले व्रत-त्योहार और पर्वों के महत्व के बारे में विशेष बातें।
Also Read : Falgun Month 2021 : 28 फरवरी से शुरू होगा फाल्गुन माह, जानें क्यों है ये मास बहुत खास
अंगारक चतुर्थी
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन अंगारक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। अंगारक चतुर्थी भगवान श्रीगणेश जी को समर्पित है और इस दिन विघ्नों का विनाश करने वाले भगवान गणपति जी की पूजा और व्रत का विधान है। ऐसी मान्यता है कि अकेले अंगारक चतुर्थी का व्रत करने से पूरे साल के दौरान आने वाली सभी चतुर्थियों के व्रत का फल प्राप्त होता है।
कालाष्टमी
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार कालाष्टमी का यह व्रत भगवान शिव के रूप कालभैरव को समर्पित है। इस दिन रात्रि जागरण कर भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनी जाती है और उनके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा जाता है। मान्यता है कि कालभैरव का व्रत करने से सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और तंत्र-मंत्र जैसी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
महा शिवरात्रि
हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पर पड़ने वाली चतुर्दशी की रात्रि को महा शिवरात्रि कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार हिन्दू धर्म में महा शिवरात्रि के पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और देश भर में महा शिवरात्रि के दिन बड़ी संख्या में लोग व्रत रखते हैं। महा शिवरात्रि का यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रमुख पर्व है। ऐसी मान्यता है कि इस भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन सच्चे मन से शिव-पार्वती की पूजा करने से सभी शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
शनि अमावस्या
सनातन धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है और यह शुभ तिथि इस बार 13 मार्च दिन शनिवार को पड़ रही है इसलिए इस दिन शनैश्चरी अमावस्या का योग बना है। पंडित मदनमोहन शर्मा के अनुसार अगर आप शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या से पीड़ित हैं तो शनि अमावस्या का दिन आपके लिए विशेष शुभ है। इस दिन आप शनिदेव की पूजा करके शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
फुलेरा दूज
फुलेरा का अर्थ है फूल, जोकि फूलों को दर्शाता है। यह माना जाता है कि भगवान कृष्ण फूलों के साथ खेलते हैं और फुलेरा दूज की शुभ पूर्व संध्या पर होली के त्योहार में भाग लेते हैं। यह त्योहार लोगों के जीवन में खुशियां और उल्लास लाता है। फाल्गुन माह में फुलेरा दूज मनाई जाती है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होने के कारण रिकॉर्ड शादियां होती हैं। संतान प्राप्ति की कामना करने वालों को इस माह में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। पंडित दिनेश शर्मा के अनुसार फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण के लिए स्पेशल भोग तैयार किया जाता है। जिसमें पोहा और अन्य व्यजंनों को शामिल किया जाता है। इस दिन तैयार किए गए भोजन से पहले भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है और फिर उसे प्रसाद के रूप में सभी लोगों में बांट दिया जाता है। इस दिन किए जाने वाले दो अनुष्ठान समाज में रसिया और संध्या आरती हैं।
विनायक चतुर्थी
प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है और इस दिन व्रत रखने का विधान है। पंडित मदनमोहन शर्मा के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने बाद लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। आजम निर्विकल्पम निराकारमेकम अर्थात भगवान गणेश अजन्मे गुणातीत और निराकार हैं और उस परमचेतना के प्रतीक हैं। जो पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है।
होलाष्टक आरंभ
होली से आठ दिन पहले प्रतिवर्ष होलाष्टक आरंभ हो जाते हैं। इस साल यह तिथि 21 मार्च 2021, दिन रविवार को पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से फाल्गुन पूर्णिमा तक का समय होलाष्टक कहा गया है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित बताया गया है क्योंकि यह समय अशुभ समय होता है। खासतौर पर इस दौरान मांगलिक कार्य करना बहुत ही अशुभ माना गया है।
आमलकी एकादशी
आमलकी एकादशी यानी आंवला एकादशी को शास्त्रों में बहुत श्रेष्ठ माना गया है। जैसे नदियों में गंगा को श्रेष्ठ माना जाता है और देवों में भगवान भगवान श्रीहरि विष्णु को। श्रीराम कथावाचक पंडित उमाशंकर भारद्वाज के अनुसार जब भगवान विष्णु जी ने सृष्टि की रचना का भार भगवान ब्रह्मा को सौंपा था तो उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले के हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। उस दौरान भगवान विष्णु ने कहा था कि जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
होलिका दहन
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार सनातन धर्म में होली का त्योहार सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन होलाष्टक से जमा की गई लकड़ियों और उपलों को एकत्रित करके होलिका बनाकर उनकी पूजा की जाती है और शुभ समय पर होलिका दहन किया जाता है। यह पर्व सत्य और अच्छाई का पर्व है। होली की कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नामक राजा की बहन होलिका आग में जल गई थी और भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद उस आग से बच गए थे। इस उपलक्ष में होलिका दहन किया जाता है।
रंगोत्सव धुलेंडी
चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगवाली होली मनाई जाती है जिसे धुलेंडी भी कहा जाता है। पंडित अनीष व्यास के अनुसार यह पर्व होलिका दहन के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन एक-दूसरे के रंग और गुलाल लगाया जाता है और इस पर्व को बसंतोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिन से गणगौर पूजा का भी आरंभ हो जाता जोकि विशेष तौर पर राजस्थान में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS