Fasting Rules : व्रत के दौरान पति-पत्नी को संभोग करना चाहिए या नहीं, सच्चाई जानें...

Fasting Rules : जब हम लोग कोई भी व्रत रखते हैं तो वह मन और आत्मा की शुद्धि के लिए, ज्यादा से ज्यादा नाम जप करने के लिए और किसी देवी या देवता को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। व्रत सिर्फ खाने के लिए नहीं होता, व्रत मन को शुद्ध करने और विचारों को पवित्र करने का होता है। व्रत में हमें किसी की बुराई करना या सुनना नहीं चाहिए। इसलिए कहा जाता है कि जब व्रत हो तो कम से कम बोलें।
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व्रत खुद से जुड़ने का तथा साधना का समय होता है। व्रत में खुद पर संयम रखने से हममें धैर्य आता है। संयम भोजन का और शरीर की जरुरतों का होता है। व्रत के दौरान हमें अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। व्रत में हमें सात्विक विचार तथा सात्विक व्यवहार करना चाहिए। व्रत एक तपस्या है, जिससे हमारे अंदर स्वच्छता, ब्रह्मचर्य, सत्य, धैर्य का अभ्यास होता है। अब प्रश्न होता है कि व्रत में संभोग करें अथवा नहीं।
एकादशी व्रत में स्त्रीसंग करना वर्जित है क्योंकि इससे मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान की भक्ति में नहीं लगता। अत: एकादशी पर स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए। एकादशी व्रत कथा में लिखा होता है कि हमें इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। दशमी और एकादशी की रात को इसलिए संभोग नहीं करना चाहिए।
नवरात्रि व्रत में, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि व्रत आदि व्रतों में भी संभोग नहीं करना चाहिए।
जो कार्तिक मास व्रती रहते हैं या सावन व्रत करते हैं उन्हें भी पूरा महीना संभोग क्रिया नहीं करनी चाहिए। क्योंकि कार्तिक महात् में ऐसा लिखा है कि किसी औरत को व्रत शुरू करने से पहले अपने पति और अपनी सास की आज्ञा लेना जरुरी है। तभी वो व्रती रह सकती है।
धार्मिक विचार
व्रत के समय संभोग नहीं करना चाहिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तथ्य हैं। धार्मिक विचारों में संभोग प्रक्रिया शरीर को अशुद्ध करती है। और व्रत में हमें संपूर्ण शुद्धि का पालन करना चाहिए।
वैज्ञानिक विचार
वैज्ञानिक विचार से व्रत में खाना नहीं खाने से शरीर कमजोर होता है और संभोग प्रक्रिया में ज्यादा ताकत चाहिए होती है। इसलिए संभोग को मना किया जाता है। व्रत के दौरान शरीर में एनर्जी कम होती है और संभोग के दौरान पार्टनर जल्दी थक जाते हैं। व्रतों में खाए जाने वाले फलाहार इतने फैटी होते हैं कि उनके सेवन से आपका वजन गिरने की बजाय और बढ़ जाता है। वहीं डाइट की अनियमितता की वजह से व्रत के दौरान कमजोरी, गैस्ट्रिक आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। और इस वजह से व्रती को चिड़चिड़ाहट होती है। इसलिए इस दौरान संभोग क्रिया को ना करना ही उचित होता है।
मुस्लिम धर्म में व्रत और संभोग
इस विषय पर हम अगर और धर्मों की बात करें तो मुस्लिम धर्म में व्रत को पवित्रता से जोड़ते हुए रोजे के दौरान संभोग प्रक्रिया को रात को करने को कहा गया है। इस धर्म में भी दिन के दौरान संभोग पूरी तरह से वर्जित है।
बौद्ध धर्म में व्रत और संभोग
वहीं बौद्ध धर्म में व्रत के दौरान संभोग प्रक्रिया पूरी तरह से वर्जित मानी जाती है। और बौद्ध धर्म हमें मोह से दूर रहने की प्रेरणा देता है।
क्रिश्चियन धर्म में व्रत और संभोग
ईसाई या क्रिश्चियन धर्म में संभोग को कभी गलत नहीं माना जाता। इस धर्म में मानते हैं कि सेक्स या संभोग प्रक्रिया दो लोगों को करीब लाती है, उन्हें आपस में जोड़ती है। वो इसे बहुत पवित्र प्रक्रिया मानते हैं। इसलिए शादी के समय वो लोग चर्च में ही आपस में एक-दूसरे को किस (Kiss) करते हैं।
यहूदी धर्म में व्रत और संभोग
यहूदी धर्म में व्रत के समय संभोग की सख्त मनाही है। उनके अनुसार व्रत समय स्वयं से जुड़ने या परमात्मा से जुड़ने का समय होता है।
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