Ganesh Chaturthi 2020 Kab H : गणेश चतुर्थी 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

Ganesh Chaturthi 2020 Kab H : गणेश चतुर्थी 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा
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Ganesh Chaturthi 2020 Kab H : गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को बड़ी ही धूमधाम से घर पर लाया जाता है और ग्यारहवें दिन उनका विसर्जन कर दिया जाता है। अगर आप भी गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की स्थापना करना चाहते हैं तो आज हम आपको बताएंगे कि गणेश चतुर्थी 2020 में कब है (Ganesh Chaturthi 2020 Mai Kab Hai), गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi Shubh Muhurat), गणेश चतुर्थी का महत्व (Ganesh Chaturthi Importance) और गणेश चतुर्थी की कथा (Ganesh Chaturthi Story)

Ganesh Chaturthi 2020 Kab H : : भगवान गणेश (Lord Ganesha) को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है और गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन उन्हें बड़े ही धूमधाम से अपने घर लाया जाता है और उन्हें विराजमान किया जाता है। यदि आप भी भगवान गणेश को अपने घर विराजमान करना चाहते हैं तो आपको गणेश चतुर्थी 2020 में कब है, गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त, गणेश चतुर्थी का महत्व और गणेश चतुर्थी की कथा के बारे में अवश्य जान लेना चाहिए।


गणेश चतुर्थी 2020 तिथि (Ganesh Chaturthi 2020 Tithi)

22 अगस्त 2020

गणेश चतुर्थी 2020 शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2020 Shubh Muhurat)

मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक

वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - सुबह 9 बजकर 07 मिनट से रात 9 बजकर 25 मिनट तक

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - रात 11 बजकर 02 मिनट से (21 अगस्त 2020)

चतुर्थी तिथि समाप्त - शाम 07 बजकर 57 मिनट तक (22 अगस्त 2020)


गणेश चतुर्थी महत्व (Ganesh Chaturthi Ka Mahatva)

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए महाराष्ट्र में इस पर्व को गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को बड़े ही धूमधाम से घर में लाया जाता है और ग्यारह दिनों तक इन्हें घर में स्थापित किया जाता है। भगवान गणेश को इस समय में बहुत ही सुंदर वस्त्रों आदि से सजाया जाता है।

इस समय में भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें मोदक और लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। इसके बाद ग्यारहवें दिन भगवान गणेश का बड़े ही धूमधाम से विर्सजन करके उनसे प्रार्थना की जाती है कि वह अगले साल भी जल्दी आएं और अपने भक्तों को अपना आर्शीवाद प्रदान करें। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश जहां पर भी विराजते हैं वहां धन, संपत्ति, सुख और संपदा स्वंय ही चली आती है।


गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Puja Vidhi)

1. गणेश चतुर्थी के दिन साधक को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके भगवान गणेश की तांबे या मिट्टी की प्रतिमा को बड़े ही धूमधाम से अपने घर में लाना चाहिए।

2.इसके बाद भगवान गणेश एक कलश लेकर उसमें सुपारी डालें और उसे किसी कोरे वस्त्र से बांधकर चौकी पर रखें और गणेश जी को स्थापित करें।

3.भगवान गणेश को स्थापित करने के बाद उन्हें सिंदूर, दूर्वा व 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डूओं को छोड़कर बाकी के लड्डू गरीब लोगों में बांट दें।

4.शाम के समय में गणेश जी की विधिवत पूजा करें। इसके बाद गणेश जी की कथा और गणेश चालीसा अवश्य पढ़ें। अंत में गणेश जी की आरती करें।

5. आपको इस दिन भूलकर भी चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। इसी प्रकार से गणेश जी की दस दिनों तक पूजा करके ग्यारहवें दिन उनका विसर्जन कर दें।


गणेश चतुर्थी की कथा (Ganesh Chaturthi Story)

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने अपने मैल से एक बाल का उत्पन्न किया और उसे स्नान घर के बाहर रक्षा करने का आदेश दिया और कहा कि किसी को भी अंदर आने न दें।जिसके बाद उस बालक ने किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया। अंत में वहां महादेव आए और उन्होंने भी अंदर जाने का प्रसाय किया।लेकिन उस बालक ने उन्हें भी अंदर नहीं जाने दिया।

जिससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने उस बालक का गला काट दिया। जब माता पार्वती को यह पता चला तो वह अत्यंत ही क्रोधित हो गई और उन्होंने अपना शक्ति रूप धारण कर लिया और संसार में प्रलय लाने की प्रतिज्ञा की। जिसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु को आदेश दिया की उत्तर दिशा में जो भी माता अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो उस बालक का सिर ले आए।

भगवान विष्णु ने ऐसा ही किया उन्होंने देखा की एक हथिनी अपने बच्चे की ओर पीठ करके सो रही है तब उन्होंने उस हथिनी के बालक सिर काट लिया और भगवान शिव के पास ले आए। भगवान शिव ने उस हथिनी के बच्चे का सिर उस बालक के सिर से लगा दिया। जिसके बाद माता पार्वती का क्रोध शांत हुआ और सभी देवताओं ने उस बालक को आर्शीवाद दिया।

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