Ganesh Visarjan 2020 Date : गणेश विसर्जन 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

Ganesh Visarjan 2020 Date : गणेश चतुर्थी 22 अगस्त 2020 (Ganesh Chaturthi 22 August 2020) को मनाई जाएगी और 1 सितंबर 2020 को अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश का विसर्जन (Lord Ganesha Visarjan) कर दिया जाएगा। इन 10 दिनों में भगवान गणेश की विधिवत पूजा करके उन्हें उनकी मनपसंद चीजों का भोग लगाया जाता है और ग्यारहवें दिन पूरे विधि विधान से गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता है तो चलिए जानते हैं गणेश विसर्जन 2020 में कब है, गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त, गणेश विसर्जन का महत्व, गणेश विसर्जन की पूजा विधि और गणेश विसर्जन की कथा।
गणेश विसर्जन 2020 तिथि (Ganesh Visarjan 2020 Tithi)
1 सितंबर 2020
गणेश विसर्जन 2020 शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan 2020 Shubh Muhurat)
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - सुबह 9 बजकर 10 मिनट से दोपहर 1 बजकर 56 मिनट तक (1 सितम्बर 2020)
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 3 बजकर 32 मिनट से शाम 05 बजकर 07 मिनट तक (1 सितम्बर 2020)
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - रात 8 बजकर 07 मिनट से रात 09 बजकर 32 मिनट तक (1 सितम्बर 2020)
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10 बजकर 56 मिनट से सुबह 3 बजकर 10 मिनट तक (2 सितम्बर 2020)
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - सुबह 08 बजकर 48 मिनट से (31 अगस्त 2020)
चतुर्दशी तिथि समाप्त - सुबह 09 बजकर 38 मिनट तक (1 सितंबर 2020)
गणेश विसर्जन का महत्व (Ganesh Visarjan Importance)
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की स्थापना को जितना महत्व दिया जाता है उतना ही महत्व भगवा्न गणेश के विसर्जन को दिया जाता है। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन से भगवान गणेश को भक्त अपने घर पांच, सात या ग्यारह दिनों तक विराजित करते हैं और उनकी पूरी विधिवत आराधना करते हैं।
इसके बाद भगवान गणेश का विसर्जन चतुर्दशी तिथि को कर दिया जाता है और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वह इसी तरह अगले साल भी आएं। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश की स्थापना करके उनका विधिवत पूजन करके विसर्जन करने से मनुष्य के जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती है और उसे जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
गणेश विसर्जन पूजा विधि (Ganesh Visarjan Puja Vidhi)
1. भगवान गणेश का विसर्जन चतुर्दशी तिथि के दिया किया जाता है। विसर्जन से पहले उनका तिलक करके किया जाता है।
2. उसके बाद उन्हें फूलों का हार, फल, फूल,मोदक लड्डू आदि चढ़ाए जाते हैं।
3.इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है।
4.भगवान गणेश को पूजा में जो भी सामग्री चढ़ाई जाती है। उसे एक पोटली में बांध लिया जाता है।
5. इस पोटली में सभी सामग्री के साथ एक सिक्का भी रखा जाता है और उसके बाद गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता है। भगवान गणेश के विसर्जन के साथ ही इस पोटली को भी बहा दिया जाता है।
गणेश विसर्जन की कथा (Ganesh Visarjan Story)
पौराणिक कथा के अनुसार गणेश चतुर्थी से लेकर महाभारत तक की कथा वेद व्यास जी ने गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक सुनाई थी। जिसे भगवान श्री गणेश जी ने लगातार लिखा था। दसवें दिन जब भगवान वेद व्यास जी ने अपनी आखें खोली तो उन्होंने पाया की गणेश जी का शरीर बहुत अधिक गर्म हो गया है। जिसके बाद वेद व्यास जी ने अपने पास के सरोवर के जल से गणेश जी के शरीर को ठंडा किया था।इसी वजह से गणेश जी को चतुदर्शी के दिन शीतल जल में प्रवाह किया जाता है।
इसी कथा अनुसार गणेश जी के शरीर का तापमान इससे अधिक न बढ़े। इसके लिए वेद व्यास जी ने सुगंधित मिट्टी से गणेश जी का लेप भी किया था। जब यह लेप सूखा तो गणेश जी का शरीर अकड़ गया था। जिसके बाद मिट्टी भी झड़ने लगी थी। जिसके बाद उन्हें सरोवर के पानी में ले जाकर शीतल किया गया था। उस समय वेदव्यास जी ने 10 दिनों तक गणेश जी को उनकी पसंद का भोजन भी कराया था। इसी कारण से भगवान श्री गणेश को स्थापित और विसर्जन भी किया जाता है। इन 10 दिनों में गणेश जी को उनकी पसंद का भोजन भी कराया जाता है।
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