Ganesh Visarjan 2022: गणपति विसर्जन के क्या हैं धार्मिक कारण और रहस्य, जानें...

Ganesh Visarjan 2022: गणेशोत्सव संपूर्ण भारतवर्ष में पूरे धूमधाम के साथ मनाया जाता है और 11वें दिन गणपति जी का विसर्जन कर दिया जाता है। तो आइए जानते हैं गणपति विसर्जन क्यों किया जाता है, क्या है इसका धार्मिक कारण और गणेशोत्सव मनाने का रहस्य।
गणेश उत्सव को मनाने वाले सभी भक्त भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन स्थापित किए गए गणपति जी की प्रतिमा को 11वें दिन अनंत चतुर्दशी पर विसर्जित करते हैं और इस प्रकार गणेशोत्सव का समापन होता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब वेद व्यासजी ने महाभारत की कहानी पूरे 10 दिनों तक गणपति जी को सुनाई थी, तब उन्होंने अपने नेत्र बंद कर लिए थे और जब 10 दिनों के बाद उन्होंने अपने नेत्र खोले तो देखा कि, गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया था और उसी समय वेद व्यास जी ने गणेश जी को पास ही स्थित एक कुंड में स्नान करवाया, जिससे उनके शरीर का तापमान कम हुआ। इसीलिए गणपति स्थापना के अगले 10 दिनों में गणपति बप्पा की पूजा की जाती है और फिर 11वें दिन जल में गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। गणेश विसर्जन इस बात का भी प्रतीक है कि, यह शरीर मिट्टी से निर्मित्त है और अंत में इस शरीर को मिट्टी में ही मिल जाना है।
वहीं गणेशोत्सव हजारों सालों से मनाया जा रहा है, लेकिन सन 1893 के पूर्व यह उत्सव केवल घरों तक ही सीमित था। उस दौरान सामूहिक रुप ये उत्सव नहीं मनाए जाते थे और ना ही बड़े पैमाने पर पंडालों में इस उत्सव का आयोजन किया जाता था।
सन 1893 में बालगंगाधर तिलक ने अग्रेजों के विरुद्ध भारतीयों को एकजूट करने के लिए बहुत बड़े स्तर पर इस उत्सव का आयोजन किया था। जिसमें भारी संख्या में लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था और तभी से धीरे-धीरे पूरे भारतवर्ष में गणेशोत्सव सामूहिक रुप से मनाया जाने लगा।
वहीं बालगंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव का यह आयोजन महाराष्ट्र में करवाया था। इसी वजह से महाराष्ट्र की जनता इस पर्व को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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