गणेश विसर्जन की पूजा विधि, आप भी जानें

भगवान गणपति को हम भक्तिभाव से अपने घर लाते हैं, और उनका हम विधि-विधान से पूजन करते हैं। चाहे वह डेढ़ दिन के लिए हो, तीन दिन के लिए हो, पांच दिन के लिए हो, सात दिन के लिए हो या फिर 11 दिन के लिए हो। जब हम लोग उनका विधि-विधान से पूजन करते हैं, तो हमें गणपति का विसर्जन भी विधि-विधान से ही करना चाहिए। गणपति विसर्जन में भी कुछ मुख्य बातें होती हैं। जिनको हमें गणपति विसर्जन करते समय ध्यान रखना चाहिए। यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि चाहे भगवान की प्राण प्रतिष्ठा है, अथवा चाहे दैनिक पूजा या चाहे विसर्जन ही क्यों ना हो। ये सारे कार्य ब्राह्मण के द्वारा ही संपादित होने चाहिए। परन्तु अगर किसी कारणवश ब्राह्मण की व्यवस्था नहीं हो पाती तो यह ध्यान रखना चाहिए कि हमें बाप्पा का विसर्जन किस प्रकार करना चाहिए। तो आइए आप भी जानें गणेश विसर्जन की विधि।
गणेश विसर्जन से पूर्व भगवान गणेश का पंचोपचार के द्वारा पूजन करें। और इस दौरान आप आचमन करके भगवान गणपति के सामने तिलक इत्यादि धारण के बाद आप आसन पर बैठ जाएं।
आसन पर बैठने के बाद हाथ में चावल, फूल लेकर भगवान गणपति का ध्यान करें। और बोले कि हे गणेश जी महाराज आप सुन्दर नेत्रों वाले हैं, आप वक्र तुंड वाले हैं, आप एक दंत कहलाते हैं, आपका नाम लंबोदर भी है। आप सकल विघ्न के नाशक हैं, मेरे द्वारा की गई पूजा को आप स्वीकार करें। तथा मुझे सुख, संपत्ति, धन, धान्य, आयु और आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करें। इस प्रकार बोलकर के भगवान के सामने चावल, फूल छोड़ दें।
चावल फूल छोड़ने के बाद सभी को पुन: स्नान कराना है। फूल से सभी के ऊपर जल छिड़कें। छोटे गणपति, गौरी माता आदि सभी देवी-देवताओं को स्नान कराएं। उसके बाद कलश देवता को स्नान कराएं। नवग्रह देवताओं को भी स्नान कराएं। और बड़े गणपति को भी स्नान कराएं।
स्नान कराने के बाद सबको तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद सबको अक्षत (चावल) लगाइए। हल्दी, कुमकुम, पुष्प इत्यादि भगवान को चढ़ा दीजिए।
भगवान को धूप अर्थात अगरबत्ती दिखाइए। तत्पश्चात भगवान को दीपक दिखा दीजिए। दीपक दिखाने के बाद भगवान को कुछ नवैध्य लगा दीजिए। आपने इस प्रकार भगवान का पूरा पूजन कर लिया है। और अब भगवान गणपति की आरती करें।
आरती करने के बाद आपको पुष्पांजलि करनी है। हाथ में फूल लेकर भगवान से प्रार्थना करनी है। प्रार्थना में बोलें कि हे गणेश जी महाराज आप सबका कल्याण करें। इस संसार में सभी लोग एक-दूसरे को कल्याण की दृष्टि से देखें। चारों तरफ शांति व्याप्त हो। आपकी इस पूजा में जितने भी लोग सम्मिलित हुए हैं, उनके घर भी संपत्ति, धन, धान्य, सुख और आरोग्य आदि की प्राप्ति हो। ऐसी हम आपसे प्रार्थना करते हैं।
इस प्रकार प्रार्थना करके भगवान के सामने पुष्पांजलि अर्पित करें। और आप एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि । गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥ इस मंत्र का जाप करके एक बार फिर से गणपति को पुष्पांजलि अर्पित करें। और इसके बाद भगवान का जयकारा लगाइए।
अब भगवान गणपति का विसर्जन करना है तो हाथ में चावल ले लीजिए। और पूजास्थल से छोटे गणपति को अलग निकाल लें। नहीं तो इनका भी विसर्जन हो जाएगा। इनको आप आसन से निकाल कर किसी दूसरे आसन पर बैठा दीजिए। तत्पश्चात आप हाथ में चावल लीजिए और भगवान से बोलिए कि हे गणेश जी महाराज हमारे द्वारा की गई यह पूजा, इस पूजा में अगर किसी प्रकार की सामग्री, कम हो गई है, किसी प्रकार के मंत्र अशुद्ध हो गए हैं। अथवा आपके नाम जप में किसी भी प्रकार की त्रुटि हो गई है। तो हे गौरी के नंदन, हे पार्वती नंदन आप मेरी इस पूजा को स्वीकार करें, और मुझसे जो भी गलती हो गई है उसे क्षमा करें। जैसे मां अपने पुत्र को कई बार अपराध करने पर भी क्षमा कर देती है। उसी प्रकार आप भी मेरे माता-पिता के स्वरूप में हैं, तो इसलिए आप मुझे क्षमा कर दें। मेरी गलतियों को क्षमा कर दें। और मेरे द्वारा की गई पूजा को स्वीकार करें। अगले वर्ष पुन: इसी प्रकार आपके आगमन के लिए मैं प्रयास करूंगा। आप मुझे आशीर्वाद प्रदान करें, जिससे मैं इस बार की गई पूजा से भी अधिक दिव्य तैयारी कर सकूं। और आपका पुन: मैं स्थापन करूंगा। और आप अपनी शक्तियों के साथ पुन: यहां आवें। अभी आप सूक्ष्म रूप से मेरे घर में विराजमान रहें। तथा स्थूल्य रूप से मैं आपका विसर्जन कर रहा हूं। तो आप अपने स्थान को चले जावे। ऐसा बोलकर चावल गौरी माता, कलश, नवग्रह और भगवान गणेश के सामने छोड़ दीजिए। और चावल छोड़ने के बाद गणपति का जयकारा लगाएं।
इसके बाद सबसे पहले गौरी माता वाली प्लेट आगे खींच लीजिए। और फिर कलश इत्यादि को भी आगे की तरफ खींच लीजिए। नवग्रह देवताओं को भी आगे खींच लीजिए। इसके बाद पूरी चौकी को आगे खींच लीजिए। इसके बाद भगवान गणेश के आसन को उनका जयकारा लगाते हुए आगे खींच लीजिए।
अगर हम लोग अपने ही घर में गणपति का विसर्जन करते हैं तो इसके लिए एक नई बाल्टी बाजार से खरीद कर लाएं। और उसमें जल में गंगाजल मिलकर बाल्टी को भर कर रख लें। और उसके बाद आप उसमें कुमकुम, चंदन, हल्दी, पुष्प इत्यादि डालें और उसके बाद उस बाल्टी में भगवान गणेश का जयकारा लगाते हुए अंतिम दर्शन के साथ विसर्जन कर दें। और उसके बाद गौरी माता, नवग्रह आदि का भी विसर्जन कर दें। बाल्टी में भगवान की प्रतिमा आदि दूसरे दिन तक गल जाएंगी। उसके बाद इस जल को गमले इत्यादि में डाल दें।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS