गणपति विसर्जन के बाद क्या करें, आप भी जानें

गणपति विसर्जन के बाद क्या करें, आप भी जानें
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भगवान गणपति के विसर्जन के बाद हमें क्या-क्या करना चाहिए। भक्ति भाव के साथ हम गणपति भगवान का पूजन करते हैं, विसर्जन करते हैं। विसर्जन करने के बाद घर में जो पूजन सामग्री का अवशेष बच जाता है। जैसे कलश, कलश के अंदर वाला जल कलश के अंदर डाली गईं सुपारी, सिक्का और हल्दी की गांठें, कलश के ऊपर रखा हुआ नारियल भगवान गणपति का लाल कपड़े वाला आसनआसन के ऊपर रखे गए चावल, नवग्रह के लिए रखे गए चावल, नवग्रह के लिए रखी गई सुपारी इत्यादि इन सब वस्तुओं का हमें विसर्जन के बाद क्या करना चाहिए।

भगवान गणपति के विसर्जन के बाद हमें क्या-क्या करना चाहिए। भक्ति भाव के साथ हम गणपति भगवान का पूजन करते हैं, विसर्जन करते हैं। विसर्जन करने के बाद घर में जो पूजन सामग्री का अवशेष बच जाता है। जैसे कलश, कलश के अंदर वाला जल कलश के अंदर डाली गईं सुपारी, सिक्का और हल्दी की गांठें, कलश के ऊपर रखा हुआ नारियल भगवान गणपति का लाल कपड़े वाला आसनआसन के ऊपर रखे गए चावल, नवग्रह के लिए रखे गए चावल, नवग्रह के लिए रखी गई सुपारी इत्यादि इन सब वस्तुओं का हमें विसर्जन के बाद क्या करना चाहिए।

गणपति का विसर्जन करते समय जब आप नदी, तालाब या समुद्र आदि के तट पर जाते हैं तो सबसे पहले अपने साथ जाने वाले लोगों समुद्र, नदी या तालाब जहां भी आप गणपति जी का विसर्जन करना चाह रहे हैं। उस नदी, तालाब अथवा समुद्र के अंदर की एक मुट्ठी मिट्टी अपने सहायकों से मंगवायें।

अगर आप गणपति का विसर्जन अपने घर इत्यादि में ही करते हैं तो वहां भी गणेश जी की प्रतिमा कुछ समय में गल जाती है तो आप उसमें से थोड़ी सी मिट्टी निकालें और जो आपने गणपति भगवान का जो आसन आपने बनाया था, उस आसन पर जाकर के उस मिट्टी को रख दीजिए। और वहां जो दीपक आदि जल रहे हैं उन्हें जलने दीजिए। इसका भाव यह रहता है कि गणपति जी का जो विशाल स्वरूप था, उनका स्थूल शरीर आज भी आपके घर में मौजूद है। इससे आपके मन में ऐसी भावना रहती है कि हमने भगवान का विसर्जन कर दिया है। लेकिन भगवान गणेश का एक सूक्ष्म स्वरूप हम घर ले आएं हैं। जो हमारे साथ रहेंगे। और आप उस सूक्ष्म स्वरूप की आरती करेंगे।

आरती करने के बाद दूसरे और तीसरे दिन उस मिट्टी को अपने गमले में डाल दें। विसर्जन की गई मिट्टी को कभी भी तुलसी में नहीं डालना चाहिए। और कलश आदि के जल को भी तुलसी में नहीं डालना चाहिए। उसे भी आप किसी गमले में छाल दीजिए। और आप जो शेष बची हुई सामग्री लाल कपड़ा, सुपारी और चावल आदि है, उसे आचार्य जी को दान कर दीजिए। और अगर आपने अपने घर किसी पंडित या आचार्य जी को नहीं बुलाया है तो आप उस लाल कपड़े को अपने घर के मंदिर में उपयोग कर सकते हैं। उस कपड़े से आप भगवान का आसन आदि बना सकते हैं।

कलश के ऊपर रखे गए नारियल का आप प्रसाद बना लें, और उस प्रसाद को मीठा बनाएं। और परिवार के लोग उस प्रसाद को खा सकते है। या उस प्रसाद को अपने आसपास के लोगों में भी बांट सकते हैं। इसके बाद भगवान गणपति के नीचे जो चावल आपने रखा था, उस चावल की आपको खीर बनानी चाहिए। और शेष बचे हुए चावल को अपने धान्य में डाल देना चाहिए। और अगर आप उस चावल को अपने धान्य में नहीं डालना चाहते हैं। तो आप उसे मछली, पक्षियों को डाल सकते हैं। या उस चावल का भात बनाकर गाय को खिला दीजिए।

पूजा की बची हुई सुपारी को आप अपने किसी गमले आदि में दबाकर उसके ऊपर कोई पौधा आदि लगा सकते हैं। या आप सुपारी को जल में विसर्जित कर सकते हैं। और उसके बाद कलश के अंदर से सिक्का निकालने के बाद उसमें जो अवशेष बचा हुआ है उसे भी आप किसी गमले में गाड़ सकते हैं, या उसका भी विसर्जन कर सकते हैं। उसके बाद जो आपने देव पूजन में दक्षिणा चढ़ाई थी उसे और कलश की दक्षिणा को मिलाकर किसी पंडित जी को दान कर सकते हैं। अगर कोई पंडित जी समय पर नहीं मिल पाते हैं तो उन पैसों को आप किसी कन्या को दे दीजिए। इसके बाद अब कलश के जल से अपने पूरे घर में केवल वाथरूम को छोड़कर छिड़काव कर दीजिए।

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