Garud Puran : जानें, मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है

- मनुष्य का जीवन जितना सत्य है, उतना ही बड़ा सत्य है उसकी मृत्यु।
- मनुष्य पैसा कमाने के लिए अपने जीवन में ना जानें कितने पापकर्म करता है।
Garud Puran : मनुष्य का जीवन जितना सत्य है, उतना ही बड़ा सत्य है उसकी मृत्यु। जो इस मृत्यु लोक में आया है, एक ना एक दिन उसकी मृत्यु अवश्य होगी। परन्तु मनुष्य ये बात जानते हुए भी इस सच्चाई से भागता है और पैसा कमाने के लिए अपने जीवन में ना जानें कितने पापकर्म करता है। जिसका कारण है मृत्यु के इस रहस्य की जानकारी ना होना। मृत्यु के बाद पाप कर्म के कारण उसकी आत्मा को ना जानें कितने कष्ट भोगने पड़ते हैं। जिसका वर्णन हिन्दू धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में किया गया है। तो आइए जानते हैं मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है।
ये भी पढ़ें : Chaiti Chhath Puja 2021 : चैती छठ पूजा कब शुरू होगी और कब समाप्त होगी, एक क्लिक में जानें व्रत-उपवास के नियम
गरुड़ पुराण के अनुसार जिस मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है, वह मनुष्य बोलना बंद कर देता है, उसकी सभी इंद्रियां शिथिल पड़ जाती हैं। जब अंतिम समय निकट आता है तब परमात्मा के द्वारा उसे एक दिव्य दृष्टि मिलती है। जिससे वह सारे संसार को एक रूप में देखने लगता है।
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के समय दो यमदूत आते हैं, जोकि देखने में बड़े ही भयानक होते हैं। यदि मरने वाले प्राणी ने पुण्य कर्म किया है तो वह आसानी से अपने प्राण त्याग देता है। परन्तु यदि वह पापी होता है तो वह यमदूत के भय से ग्रस्त होकर बड़े ही कष्ट से अपने प्राण त्यागता है। तत्पश्चात यमदूत उसे यमलोक ले जाते हैं।
ये भी पढ़ें : रविवार के दिन भगवान सूर्यदेव इस आरती को करने से होते हैं प्रसन्न, देते हैं धन-धान्य का आशीर्वाद
यमलोक का रास्ता अंधेरे और गर्म बालू से भरा होता है। फिर यमलोक पहुंचने पर उसे यातनाएं दी जाती हैं। फिर उसे यमराज के कहने पर 13 दिन तक अपने उत्तम कार्यों को संपन्न करने हेतु आकाश मार्ग से फिर उसके घर पर छोड़ दिया जाता है। घर आकार वह जीवात्मा पुन: अपने शरीर में प्रवेश करने का प्रयास करती है। किन्तु यमदूत के बंधन से वह मुक्त नहीं हो पाती है और भूख-प्यास के कारण रोता रहता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत व्यक्ति के वंशजों को 10 दिनों तक पिंडदान अवश्य करना चाहिए। क्योंकि पिंडदान से ही आत्मा को चलने की शक्ति प्राप्त होती है। तत्पश्चात मृत्यु के 13वें यमदूत आत्मा को फिर से पकड़ लेते हैं और फिर शुरू हो जाती है उसकी यमलोक की यात्रा। इस सफर में आत्मा को 47 दिनों तक वैतरणी नदी पार करनी होती है। इस तरह भूख-प्यास से बैचेन आत्मा यमलोक में पहुंचती है।
यमलोक में भगवान चित्रगुप्त उस प्राणी के सभी कर्मों का लेखा-जोखा यमराज को देते हैं। फिर उस आधार पर धर्मराज यह निश्चय करते हैं कि पापी आत्मा को किस नर्क में भेजा जाएगा। इसलिए हम लोगों को जीवन में धन-दौलत का लालच छोड़कर सच्चाई के रास्ते पर ही चलना चाहिए।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS