Gita jayanti 2020: किस दिन मनाई जाएगी गीता जयंती, जानिए महत्व और पूजाविधि

Gita jayanti 2020: किस दिन मनाई जाएगी गीता जयंती, जानिए महत्व और पूजाविधि
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Gita jayanti 2020 : भगवान श्रीकृष्ण ने कौरवों और पांडवों के युद्ध के समय अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। गीता के अंदर कुल 18 अध्याय हैं। जिनमें से छह अध्याय कर्म योग, छह अध्याय ज्ञान योग और अंतिम छह अध्याय में भक्ति योग का उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। गीता जंयती के दिन गीता का अध्ययन करना या सुनना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। तो आइए जानते हैं गीता जयंती की तिथि, महत्व और पूजाविधि के बारे में।

Gita Jayanti 2020 : भगवान श्रीकृष्ण ने कौरवों और पांडवों के युद्ध के समय अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। गीता के अंदर कुल 18 अध्याय हैं। जिनमें से छह अध्याय कर्म योग, छह अध्याय ज्ञान योग और अंतिम छह अध्याय में भक्ति योग का उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। गीता जंयती के दिन गीता का अध्ययन करना या सुनना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। तो आइए जानते हैं गीता जयंती की तिथि, महत्व और पूजाविधि के बारे में।

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गीता जयंती 2020 की तिथि

25 दिसंबर 2020, दिन शुक्रवार

एकादशी तिथि प्रारंभ: 24 दिसंबर रात्रि 11:17 बजे से।

एकादशी तिथि समाप्त: 26 दिसंबर, प्रात:काल 01:54 बजे।

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गीता जयंती का महत्व

गीता जयंती मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनार्इ जाती है। इसे जीवन का सार माना जाता है। जिस समय कौरवों और पांडवों का युद्ध चल रहा था, और अर्जुन अपने परिजनों और गुरुजनों को देखकर युद्ध करने से डरने लगा था, उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जिसके बाद अर्जुन ने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध किया था। पुराणों के अनुसार गीता की उत्पत्ति कलयुग के आरंभ होने से तीस वर्ष पहले हुई थी। गीता के अंदर 18 अध्याय हैं। मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती मनाई जाती है। इस कारण इस दिन भगवान विष्णु के कृष्णावतार की पुजा करना और साथ ही इस दिन पूजा-पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन गीता का पाठ करने अथवा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। गीता जयंती के दिन जो व्यक्ति गीता पढ़ने में असर्मथ हो वह इस दिन गीता को सुनकर भी पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि गीता को पढ़ना और सुनने का फल एक समान ही माना जाता है।

गीता जयंती की पूजन विधि

गीता जयंती के दिन साधक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करना चाहिए। और भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद एक साफ चौकी पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करने के बाद स्थापित करें। और भगवान के श्रीचरणों में गीता की पुस्तक रखें। और गीता पर गंगाजल के छींटे मारें। और भगवान श्रीकृष्ण और भगवद गीता को रोली और अक्षत से तिलक करें। रोली से तिलक करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और श्रीमद भगवद गीता को फूल अर्पित करें। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की धूप, दीप से आरती करें। और भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। भगवान की पूजा के बाद श्रीमदभागवद गीता को हाथों से उठाकर अपने माथे से लगाएं। और पाठ करें अथवा सुने। गीता जयंती के दिन मंदिरों में भी गीता का पाठ किया जाता है। यदि आपके लिए संभव हो तो गीता जयंती के दिन किसी ब्राह्मण को गीता का दान अवश्य करें। इस दिन व्रत-पूजन करने से सांसारिक जीवन के समस्त पापों का नाश होता है। साथ ही जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है।

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