Gochar 2021 : आषाढ़ मास में सूर्य को जल चढ़ाने से मिलते हैं ये लाभ, जानें...

Gochar 2021 : आषाढ़ मास में सूर्य को जल चढ़ाने से मिलते हैं ये लाभ, जानें...
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  • सूर्य को देवताओं की श्रेणी में रखा गया है।
  • सूर्य प्रतिदिन लोगों को प्रत्यक्ष रुप से दर्शन देते हैं।
  • दुश्मनों पर जीत के लिए भी चढ़ाया जाता है सूर्य को जल।

Gochar 2021 : स्कंद और पद्म पुराण के अनुसार, सूर्य को देवताओं की श्रेणी में रखा गया है। उन्हें भक्तों को प्रत्यक्ष दर्शन देने वाला भी कहा जाता है। इसलिए आषाढ़ महीने में सूर्यदेव को जल चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है। आषाढ़ महीने में सूर्य को जल चढ़ाने से सम्मान मिलता है। सफलता और तरक्की के लिए भी सूर्यदेव को जल चढ़ाया जाता है। दुश्मनों पर जीत के लिए भी सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, युद्ध के लिए लंका जाने से पहले भगवान श्रीराम ने भी सूर्य को जल चढ़ाकर पूजा की थी। इससे उन्हें रावण पर जीत हासिल करने में मदद मिली।

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सूर्य का शुभ-अशुभ प्रभाव

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य के शुभ प्रभाव से जॉब और बिजनेस में तरक्की के योग बनते हैं और लीडरशीप करने का मौका भी मिलता है। ज्योतिष में सूर्य को आत्माकारक ग्रह कहा गया है। इसके प्रभाव से आत्मविश्वास बढ़ता है। पिता, अधिकारी और शासकिय मामलों में सफलता भी सूर्य के शुभ प्रभाव से मिलती है। वहीं सूर्य का अशुभ प्रभाव असफलता देता है। जिसके कारण कामकाज में रुकावटें और परेशानियां बढ़ती हैं। धन हानि और स्थान परिवर्तन भी सूर्य के कारण होता है। सूर्य के अशुभ प्रभाव से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी होती है।

सूर्य करते हैं राशियों को प्रभावित

कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रह को ग्रहों का राजा बताया गया है। जब सूर्य गोचर करते हैं अर्थात राशि परिवर्तन करते हैं तब इसे सूर्य संक्रांति के नाम से जाना जाता है। जैसे सूर्य अब कर्क राशि में गोचर कर रहे हैं तो इसके कर्क संक्रांति के नाम से भी जाना जाएगा। सूर्य किसी भी राशि में एक महीने तक रहते हैं और इसके बाद राशि परिवर्तन कर जाते हैं। इस तरह वह सभी 12 राशियों के अलग-अलग भाव में होकर उनको प्रभावित करते हैं। सभी 12 राशियों में सूर्य का आधिपत्य केवल सिंह राशि पर है। वहीं 27 नक्षत्रों में सूर्य उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी हैं। सूर्य अत्यंत तेजस्वी ग्रह होकर आत्मा का कारक भी है।

सूर्य का महत्व

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य मेष राशि में उच्च होते हैं और तुला राशि में नीच होते हैं। सूर्य के चंद्रमाए मंगल व देवताओ के गुरु बृहस्पति के साथ अच्छे संबंध यानी मित्र ग्रह हैं वहीं बुध से सम्यता के संबंध हैं और शनि व शुक्र ग्रह से इनके शत्रुवत संबंध हैं। सूर्य शुभ ग्रह अर्थात गुरु शुक्र और चंद्रमा के साथ युति होने पर शुभ फल देते हैं और क्रूर ग्रह यानी कि शनिएमंगल केतु व राहु के साथ युति होने पर अशुभ फल देते हैं। सूर्य की राशि सिंह की मित्र राशि मेष कर्क वृश्चिक धनु व मीन हैं। वहीं वृष तुला मकर व कुंभ राशि से शत्रुवत संबंध हैं।

कुंडली में सूर्य मजबूत

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य अगर व्यक्ति की कुंडली में मजबूत स्थिति में है तो उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और जीवन में सुख-शांति के साथ समृद्धि भी आती है। साथ ही पिता के साथ संबंध मजबूत होते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कार्य बनने लग जाते हैं। जो व्यक्ति रोजगार की तलाश कर रहा होता हैए उसे सरकारी नौकरी प्राप्त हो जाती है और राजनीतिक जीवन में भी सफलता मिलती है। सूर्य के प्रभाव से मान-सम्मान में वृद्धि होती है और हर रोग से मुक्ति मिलती है। चूंकि सूर्य उच्च पद का कारक ग्रह है इसलिए जिस पर सूर्य देव की कृपा होती है उसे हर क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त होता है।

कुंडली में सूर्य कमजोर

विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कमजोर स्थिति में हो तो उसे कार्यक्षेत्र के साथ.साथ जीवन में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं शारीरिक रोग-दोष का सामना करना पड़ता है और हार्ट व नेत्र से संबंधित परेशानियां लगी रहती है। साथ ही कई झूठे आरोपों का भी सामना करना पड़ता है और मान-सम्मान में भी कमी आती है। पिता के साथ संबंध अच्छे नहीं रहते और धन की हानि लगातार बनी रहती है। सूर्य के अशुभ प्रभाव से कुंडली में पितृ दोष भी लगता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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