Gochar 2021: सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग में किया देवगुरु बृहस्पति ने राशि परिवर्तन, जानें इसके लाभ, प्रभाव और उपाय

Gochar 2021: बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर की यात्रा समाप्त करके 20 नवंबर की मध्य रात्रि 11:17 मिनट पर कुंभ राशि में प्रवेश कर गए हैं। इस राशि में ये 13 अप्रैल 2022 तक गोचर करेंगे उसके बाद मीन राशि में चले जाएंगे। धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति का राशि परिवर्तन पृथ्वी वासियों पर सर्वाधिक असर कारक रहता है। दांपत्य सुख और मांगलिक कामों प्रधान ग्रह बृहस्पति ग्रह शनि के साथ युति खत्म कर के अब कुंभ राशि में रहेगा। इस राशि परिवर्तन से कई लोगों को दांपत्य सुख भी मिलेगा। सर्वार्थसिद्धि योग में बृहस्पति का राशि परिवर्तन शुभ फल को बढ़ाएगा। शनिवार, 20 नवंबर 2021 की रात 11:17 मिनट पर गुरु कुंभ राशि में प्रवेश कर गए। कुंभ शनि की स्वामित्व वाली राशि है। गुरु और शनि समभाव होते है यानी इनमें शत्रु भाव नहीं होता है। गुरु करीब 12 साल बाद कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। गुरु के कुंभ राशि में प्रवेश करने से शिक्षा, बैंक, वकालत, कपड़े, वाहन, ज्वेलरी, पशुपालन, कृषि, गुप्तचर एजेंसियां, विदेशों से इंपोर्ट और एक्सपोर्ट कर्म क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए यह गुरु का गोचर बेहद शुभ तथा लाभप्रद रहेगा। इसके साथ ही ब्लड प्रेशर, शुगर, थायराइड, यूरिन, नेत्र, मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों को गुरु के इस राशि परिवर्तन से स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति शिक्षा क्षेत्र, ज्ञान-विज्ञान, शोधपरक कार्य, प्रवचनकर्ता, धर्म तथा अध्यात्म से जुड़े क्षेत्र, बैंकिंग सेक्टर, लेखन, प्रकाशन तथा संपादन के कार्य में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। देवगुरु बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। गुरु ग्रह कर्क राशि में उच्च के और मकर राशि में नीच के होते हैं। उच्च की स्थिति में शुभ फल प्रदान करते हैं और नीच की स्थिति में अशुभ। जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत भाव में होते हैं उन्हें सदैव शुभ फल प्रदान करते हैं।
शुभता प्रदान करने वाले गुरु ग्रह साल 2022 में अपनी राशि बदलेंगे। ये 13 अप्रैल 2022 को स्वराशि मीन राशि में गोचर करेंगे। साल के शुरुआती महीने में बृहस्पति कुंभ राशि में मौजूद रहेंगे। फिर इसके बाद 23 फरवरी 2022 को बृहस्पति अस्त होंगे। जहां से ये 27 मार्च 2022 को वापस से उदय होंगे। 13 अप्रैल 2022 को बृहस्पति अपनी खुद की राशि मीन में गोचर करेंगे। इसके बाद पूरे वर्ष ये मीन राशि में ही मौजूद रहेंगे। फिर इसके बाद बृहस्पति 29 जुलाई 2022 को मीन राशि में वक्री हो जाएंगे। साल के आखिर में यानी 24 नवंबर 2022 को बृहस्पति दोबारा से मार्गी होंगे।
बृहस्पति के राशि बदलने के कारण राजनीति में उतार-चढ़ाव का दौर चलता रहेगा और कई राज्यों में सत्ता और संगठन में परिवर्तन की संभावना। इसके अलावा देश की राजनीति में उथल-पुथल हो सकती है। विश्व में बहुत कुछ होगा और देखने को मिलेगा। कुंभ राशि में गुरु आने से राजनीति में बड़े स्तर पर बदलाव हो सकता है। कई राज्यों में होने वाले चुनावों के नतीजे सत्तारुढ़ सरकारों के पक्ष में आने में दिक्कतें आ सकती हैं। मंहगाई घटेगी एवं करों का बोझ कम होगा। देश में रोगों की कमी होगी। जमीन, मकान सस्ते होंगे।
गुरू के उपाय
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि देवगुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन ॐ भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का एक माला जाप करें। साथ ही भगवान विष्णु को संभव हो तो पीले रंग के फल का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में बांटें। देवगुरु को प्रसन्न करने के लिए बृहस्पतिवार के दिन दाल, हल्दी, पीले वस्त्र, बेसन के लड्डू आदि किसी योग्य ब्राह्मण को दान करें और केले के वृक्ष पर जल चढ़ाएं। इसके लिए शिवलिंग पर चने की दाल और पीले फूल चढ़ाएं। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। किसी गौशाला में हरी घास दान करें। प्रतिदिन भगवान श्री विष्णु की आराधना के बाद हल्दी और चंदन का तिलक करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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