आइए जाने भगवान शिव के प्रमुख अवतार और उनकी महिमा

सावन मास में महादेव की भक्ति के साथ-साथ भगवान शिव की शास्त्रों में प्रचलित कथाएं आदि सुनने और सुनाने का भी बड़ा महत्व है। धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव के अनेक किस्से और प्रसंग हैं। तथा शिव पुराण में भगवान शिव के 19 अवतारों का भी वर्णन मिलता है।
भगवान विष्णु के अनेक अवतारों के विषय में तो सभी जानते हैं लेकिन भगवान शिव के अवतार के विषय में बहुत कम लोग जानते हैं और ब्रह्मा के अवतारों के बारे में तो लोग कुछ भी नहीं जानते। गुरु दत्तात्रेय तीनों ही देवताओं के अवतार थे। हालांकि माता अनसुईया को तीन पुत्र हुए थे जिसमें से एक पुत्र चंद्रमा थे जो कि ब्रह्मा के अवतार थे। आज हम आपको भगवान शिव के अवतारों के बारे में बताते हैं।
शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है। कहीं उनके 24 तो कहीं उनके उन्नीस अवतारों के बारे में उल्लेख मिलता है। वैसे शिव के अंशावतार भी बहुत हुए हैं। हालांकि शिव के कुछ अवतार तंत्रमार्गी है तो कुछ दक्षिणमार्गी।
शिव के दसावतार: महाकाल, तारा, भुवनेश, षोडश, भैरव, छिन्नमस्तक गिरिजा, धूम्रवान, बगलामुख, मातंग और कमल नामक दस अवतार हैं। ये दसों अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं।
शिव के अन्य 11 अवतार जिन्हें रुद्र कहते हैं:- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शम्भू, चण्ड तथा भव।... ये रुद्रावतार कुछ शस्त्रों में अलग-अलग नाम भी मिलते हैं।
इन अवतारों के अलावा शिव के दुर्वासा, महेश, वृषभ, पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनतर्क, द्विज, अश्वत्थामा, किरात, नतेश्वर और हनुमान आदि अवतारों का उल्लेख भी 'शिव पुराण' में हुआ है जिन्हें अंशावतार माना जाता है।
परंतु भगवान शिव के जिन 19 अवतारों की अधिक चर्चा होती है जो कि इस प्रकार हैं। वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, ऋषि दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, ब्रह्मचारी, सुनटनर्तक और यक्ष अवतार।
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