Govardhan Puja 2022 : श्रीकृष्ण से पहले गोवर्धन पर्वत को इस देवता ने उठाया था, यहां पढ़ें पूरी कहानी

Govardhan Puja 2022 : दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है और इस त्योहार को संपूर्ण भारतवर्ष में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसे पूजते हैं। वहीं एक पौराणिक कथा की माने तो द्वापर युग के दौरान एक बार देवताओं के राजा इंद्र के क्रोध से लोगों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को बात ही बात में अपने हाथों में उठा लिया था। परन्तु कहा जाता है कि, द्वापर युग से पहले भी किसी देवता ने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथों में उठाया था और फिर से यहीं स्थापित कर दिया। तो क्या आप जानते हैं कि, भगवान श्रीकृष्ण से पहले किस देवता ने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था, अगर नहीं तो आइए जानते हैं गोवर्धन पर्वत को उठाने और ब्रज में स्थापित करने की इस कथा के बारे में...
गोवर्धन पर्वत की कथा
पौराणिक धर्मशास्त्रों की मानें तो जब त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया था और वनवास के दौरान उनकी पत्नी जानकी जी को लंकापति रावण छल से अपहरण करके लंका ले गया था तो उस दौरान भगवान श्रीराम ने लंका पहुंचने के लिए वानरों की विशाल सेना के साथ समुद्र पर रामसेतु का निर्माण कराया था।
कहा जाता है कि, उस समय समुद्र में रामसेतु का निर्माण के लिए बहुत अधिक पत्थर और पेड़-पौधों की लकड़ी की आवश्यकता थी। कहा जाता है कि, रामभक्त हनुमान जी इन्हीं पत्थरों के संग्रह के लिए हिमालय की ओर गए थे और वहां पहुंचकर हनुमान जी ने एक विशाल पर्वत को अपने हाथों में उठा लिया। तथा उसे लेकर हनुमान जी समुद्र की ओर उड़ चले।
इसी दौरान हनुमान जी को रास्ते में पता चला कि रामसेतु का निर्माण पूरा हो गया है और हनुमान जी इसी दुविधा में पड़ गए कि अब क्या किया जाए। तथा उन्होंने उस विशाल पर्वत को वहीं जमीन पर स्थापित कर दिया।
कहा जाता है कि, हनुमान जी के द्वारा जमीन पर रखा गया यह विशाल पर्वत कोई ओर नहीं बल्कि श्रीगिरिराज जी ही था। जिसके बाद गोर्वधन पर्वत को बहुत निराशा हुई और उन्होंने हनुमान जी से अपना दुख कहा सुनाया।
गिरिराज जी ने कहा कि, हे भक्त शिरोमणि हनुमान जी ना तो मैं श्रीराम प्रभु के ही काम आया और ना ही अपने स्थान से जुड़ा रह सका। श्रीगिरिराज जी को इस तरह से निराश और परेशानी में देखकर हनुमान जी को बहुत दया आई।
तब भक्तशिरोमणि हनुमान जी ने गिरिराज जी का आश्वासन दिया कि, द्वापर युग में जब मेरे प्रभु श्रीराम श्रीकृष्ण के स्वरूप में आएंगे तब उस दौरान वह आपके आसपास ही अपनी बाललीलाएं करेंगे और आपको अपनी ऊंगली से उठाकर देवत्व रूप में प्रतिष्ठित करेंगे। जिसके बाद सभी लोग आपकी हमेशा-हमेशा के लिए पूजा-अर्चना करते रहेंगे।
कहा जाता है कि, हनुमान जी के द्वारा की गई भविष्यवाणी को सिद्ध करने के लिए ही श्रीकृष्ण जी ने इंद्र के क्रोध से लोगों को बचाने हेतु गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊंगली पर धारण किया था।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS