Govardhan Puja 2020 Date : गोवर्धन पूजा 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त,महत्व, पूजा विधि और कथा

Govardhan Puja 2020 Date : गोवर्धन पूजा दिवाली (Diwali) के दूसरे दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन की जाती है। इस दिन भगवान गोवर्धन के साथ गाय और बैलों की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान गोवर्धन की पूजा करने से भगवान कृष्ण (Lord Krishna) का आशीर्वाद स्वंय ही मिल जाता है।
गोवर्धन पूजा 2020 तिथि (Govardhan Puja Ki Tithi)
15 नबंवर 2020
गोवर्धन पूजा 2020 शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja Shubh Muhurat)
गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त - दोपहर 3 बजकर 19 मिनट से शाम 5 बजकर 27 मिनट तक (15 नबंवर 2020)
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - सुबह 10 बजकर 36 मिनट बजे से (15 नबंवर 2020)
प्रतिपदा तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक (16 नबंवर 2020)
गोवर्धन पूजा का महत्व (Govardhan Puja Ka Mahatva)
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। गोवर्धन पर्वत को भगवान श्री कृष्ण का ही रूप माना जाता है। यह एक छोटा सा पहाड़ है जो गोवर्धन ब्रज में स्थित है। लेकिन भगवान श्री कृष्ण के भक्तों की इस पर्वत में बहुत आस्था है। गोवर्धन पर्वत को पर्वतों का राजा भी माना जाता है। यह पर्व द्वापर युग से ही यहीं पर स्थित है। माना जाता है कि द्वापर युग से अब तक यमुना नदी तो कई बार अपना रास्ता बदल चुकी है। लेकिन यह पर्वत आज भी एक ही स्थान पर स्थित है।
द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने ही सभी गोकुलवासियों से गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई थी। इसलिए इस पर्वत को भगवान कृष्ण का प्रिय बताया जाता है। पुराणों के अनुसार पृथ्वीं पर गोवर्धन पर्वत के समान दूसरा कोई भी तीर्थ नही है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान के इसी रूप को पूजा जाता है। इस दिन गाय और बैल की भी पूजा की जाती है। माना जाता है। इस दिन गाय की पूजा करने से भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)
1. गोवर्धन पूजा शाम के समय की जाती है। इसलिए शाम के समय स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद गाय के गोबर से गोवर्धन जी की आकृति बनाएं। इसके बाद भगवान कृष्ण का स्मरण करें और अन्नकूट का भोग लगाएं।
3.इस दिन गाय और बैलों की पूजा अवश्य करें। उनका श्रृंगार करें और उन्हें स्नान कराकर फूलों की माला पहनाएं और दीप से उनकी आरती उतारें।
4. इसके बाद उन्हें मिठाई का भोग लगाएं और उनका आशीर्वाद लें।
5. अंत में यह मिठाई प्रसाद के रूप में सभी में वितरण कर दें।
गोवर्धन पूजा की कथा (Govardhan Puja Story)
पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर युग में ब्रज में इंद्र की पूजा की जाती थी। एक बार भी जब इंद्र की पूजा की जा रही थी। उस समय भगवान श्री कृष्ण उस पूजा में पहुंचे और पूजा के बारे में पूछने लगे। तब ब्रजवासियों ने बताया कि यह देवराज इंद्र की पूजा की जा रही है। इस पर भगवान श्री कृष्ण ने सभी नगरवासियों से कहा कि हमें इंद्र की पूजा करके कोई लाभ नही होता। वर्षा करना तो उनका कर्म और दायित्व है और वह सिर्फ अपना कर्म कर रहे हैं। लेकिन गोवर्धन पर्वत हमारी गायों का संरक्षण और भोजन उपलब्ध कराते हैं। जिसकी वजह से वातावरण भी शुद्ध होता है।
इसलिए हमें इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। जिसके बाद सभी ने भगवान श्री कृष्ण की बात मानकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी शुरु कर दी। जिससे इंद्र क्रोधित हो उठे और मेघों को आदेश दिया की गोकुल का विनाश के दो।इसके बाद गोकुल में भारी बारिश होने लगी और गोकुल वासी भयभीत हो उठे। भगवान श्री कृष्ण ने सभी गोकुल वासियों को गोवर्धन पर्वत के संरक्षण में चलने के लिए कहा।
जिसके बाद श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका ऊँगली पर उठा लिया और सभी ब्रजवासियों की इंद्र के प्रकोप से रक्षा की।इंद्र ने अपने पूरे बल का प्रयोग किया लेकिन उनकी एक न चली। इसके बाद जब इंद्र को यह पता चला कि भगवान श्री कृष्ण विष्णु भगवान का ही अवतार हैं तो उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ और वह भगवान श्री कृष्ण से श्रमा मांगने लगे। तब ही से गोवर्धन पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है।
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