Govardhan Puja 2021: गोवर्धन पूजा में गाएं उनका ये प्रिय गीत, आप से हो जाएंगे खुश

Govardhan Puja 2021: गोवर्धन पूजा दीपावली के एक दिन बाद होती है और भारत वर्ष के प्रत्येक राज्य में इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण ने ही द्वापर युग के दौरान ब्रज के लोगों से श्रीगिरिर्राज जी महाराज यानि गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई थी। वहीं ब्रज मण्डल में श्रीगोवर्धन महाराज को श्रीकृष्ण भगवान का ही स्वरुप माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब देवराज इंद्र ने कुपित होकर ब्रज वासियों को परेशान करने की नीयत से प्रलयकाल के बादलों को आदेश दिया कि ब्रजभूमि को अपनी जल वर्षा से तहस-नहस कर दो। तो उस दौरान ब्रज में भारी वर्षा से श्रीकृष्ण भगवान ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर धारण करके ब्रज वासियों की इंद्र के कोप से रक्षा की और ब्रज के लोगों को धन-धान्य से परिपूर्ण रहने का आशीर्वाद दिया था। तभी से गोवर्धन पूजा की प्रथा चली आ रही है। तो आइए आप भी जानें गोवर्धन पूजा के दौरान गोवर्धन महाराज को प्रसन्न करने के लिए गाया जाने वाला पारंपरिक गोधन गीत।
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।।गोधन गीत।।
गोधन माडू रे तू बड़ों
तोसू बड़ों ना रे कोये
गोधन उतरो रे पार सू
उतरो गढ़ के रे घाटे
कल टिको हैं रे जाट के
तो आज गूर्जर के रे द्वारे
उठके सपूती रे पूज ल
गोधन ठाडो रे द्वारे
ठाडो हैं तो रे रहन द
गौद जडूलो रे पूते
गोधन पूजे राधिका
भर मोतियन को रे थारे
एक जो मोती रे गिर गयो
तो ढूंढे सवरे रे ग्वारे
कारी को खैला बेच क
ओझा लूँगी रे छुटाए
इतने प भी न छुटो
तो बेचू गले को रे हारे
कारी-भूरी रे झोटियाँ
चलती होड़ा रे होडे
कारी प जड़ दू रे खांकडो
भूरी प जड़ दू रे हाँसे
कैसो तो कई य रे भोजला
कैसी वाकि रे मोछे
भूरी मोछन को रे भोजला
हिरन सिंगाडी रे आंखे
बंगरी बैठो रे मैमदो
मुड मुड दे रो रे असीसे
अजय विजय सुरेश इतने बाढियो
गंग-जमन के रे असीसे
छोटे-बड्डे इतने रे बाढियो
गंग-जमन के रे नीरे
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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