Grahan 2021 : सूर्य और चंद्रमा के किस स्थिति में जाने को कौनसा ग्रहण माना जाता है, जानें...

- जानें, सूर्य ग्रहण कितने प्रकार का होता है।
- जानें, चंद्र ग्रहण कैसे होता है।
Grahan 2021 : सूर्य ग्रहण उस स्थिति में घटित होता है, जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्र आकर सूर्य की रोशनी को अपने पीछे पूर्ण रुप से ढक लेता है। इस घटना को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। वहीं जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए उसके ठीक आगे पृथ्वी आ जाती है और उसी समय पृथ्वी के आगे चन्द्रमा आ जाता है। इस दौरान पृथ्वी सूर्य को ढक लेती है, जिससे सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा तक नहीं पहुंच पाता और इसी स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं। तो आइए जानते सूर्य और चंद्र ग्रहण के बारे में।
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सूर्य ग्रहण के प्रकार
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रहण तीन प्रकार से लगता है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण
ये उस स्थिति में घटित होता है, जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्र आकर सूर्य की रोशनी को अपने पीछे पूर्ण रुप से ढक लेता है। इस घटना को ही पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं।
आंशिक सूर्य ग्रहण
इस ग्रहण की स्थिति में चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आकर सूर्य को अपने पीछे आंशिक रुप से ढक लेता है। इस दौरान सूर्य का पूरा प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँचता और इस स्थिति को ही आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं।
वलयाकार सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण की इस स्थिति में चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूर्य को पूरी तरह न ढकते हुए, उसके केवल मध्य भाग को ढकता है। इस दौरान पृथ्वी से देखने पर सूर्य एक रिंग की तरह प्रतीत होता है, जिसे हम वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
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चंद्र ग्रहण के प्रकार
ठीक सूर्य ग्रहण की तरह ही चंद्र ग्रहण भी मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है।
पूर्ण चंद्र ग्रहण
जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए उसके ठीक आगे पृथ्वी आ जाती है और उसी समय पृथ्वी के आगे चन्द्रमा आ जाता है। इस दौरान पृथ्वी सूर्य को पूर्णत: ढक लेती है, जिससे सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा तक नहीं पहुंच पाता और इसी स्थिति को पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं।
आंशिक चंद्र ग्रहण
इस स्थिति में पृथ्वी चन्द्रमा को आंशिक रुप से ढक लेती है, जिसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण
जब चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए उसके पेनुम्ब्रा से होकर गुजरता है, जिससे चन्द्रमा पर सूर्य का प्रकाश कुछ कटा हुआ सा पहुँचता है। इस स्थिति में चन्द्रमा की सतह कुछ धुँधली दिखाई देने लगती है जिसे हम उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। वास्तव में यह ग्रहण नहीं होता क्योंकि इसमें चंद्रमा ग्रसित नहीं होता। इसी वजह से इसका सूतक भी मान्य नहीं होता।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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