Hanuman Jayanti 2020 Date : हनुमान कब है 2020 में, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

Hanuman Jayanti 2020 Date : हनुमान कब है 2020 में, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा
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Hanuman Jayanti 2020 Date : हनुमान जयंती का पर्व (Hanuman Jayanti Festival) साल में दो बार मनाया जाता है। इसका कारण हनुमान जी के जन्म को लेकर विद्वानों के अलग- अलग मत को लेकर है। कुछ विद्वानों का मानना है कि हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हुआ था तो कुछ विद्वानों का मानना है कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण की चतुर्दशी तिथि को हुआ था। इसी कारण साल में दो बार हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। जिसे दिवाली हनुमान पूजा (Diwali Hanuman Puja) भी कहते हैं।

Hanuman Jayanti 2020 Date : दिवाली से एक दिन पहले यानी नर्क चतुर्दशी के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। इसका कारण हनुमान जी के जन्म को लेकर विद्वानों की अलग- अलग राय है। माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है तो आइए जानते हैं हनुमान जयंती कब है 2020 में (Hanuman Jayanti 2020 Mein Kab Hai), हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त (Hanuman Jayanti Shubh Muhurat), हनुमान जयंती का महत्व (Hanuman Jayanti Importance), हनुमान जयंती की पूजा विधि (Hanuman Jayanti Puja Vidhi) और हनुमान जयंती की कथा (Hanuman Jayanti Story)


हनुमान जयंती 2020 तिथि (Hanuman Jayanti 2020 Tithi)

13 नवंबर 2020

हनुमान जयंती 2020 शुभ मुहूर्त (Hanuman Jayanti 2020 Shubh Muhurat)

दीपावली हनुमान पूजा मूहूर्त - रात 11 बजकर 39 मिनट से रात 12 बजकर 32 मिनट तक

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - शाम 05 बजकर 59 मिनट से (13 नवम्बर 2020)

चतुर्दशी तिथि समाप्त - अगले दिन दोपहर 02 बजकर 17 मिनट तक (14 नवम्बर 2020)


हनुमान जयंती का महत्व (Hanuman Jayanti Ka Mahatva)

दिवाली से एक दिन पहले यानी नरक चतुर्दर्शी के दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है। जिसे हनुमान पूजा और हनुमान जयंती के नाम से जाना जाता है। हनुमान जयंती का पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। जिसका कारण हनुमान जी के जन्म को लेकर विद्वानों का मत है। कुछ लोग मानते हैं कि हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था तो वहीं कुछ लोग मानते हैं कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था।

यही कारण है कि हनुमान जयंती को साल में दो बार मनाया जाता है। कई विद्वानों के मत के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आधी रपात पर हुआ था। इसलिए नरक चतुर्दशी पर हनुमान जी की पूजा की जाती है। जिससे अकाल मृत्यु का कोई भी भय नहीं रहता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करना विशेष लाभकारी माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा करने वाले व्यक्ति के पास काल कभी भी नहीं आता।


हनुमान जयंती की पूजा विधि (Hanuman Jayanti Puja Vidhi)

1. हनुमान जी ब्रह्मचारी थे। इसलिए इस दिन पूजा करने वाले साधक को ब्रह्मचार्य का विशेष पालन करना चाहिए।

2.इस दिन साधक को ब्रह्ममूहर्त में स्नान करने के बाद साफ लाल वस्त्र धारण करने चाहिए और एक चौकी पर रामदरबार स्थापित करना चाहिए।

3.हनुमान जी से पहले भगवान श्री राम,माता सीता और लक्ष्मण जी की पूजा करें। उसके बाद हनुमान जी को लाल फूल, सिंदूर,गुड़ चने का प्रसाद,बेसन के लड्डू,गैंदा, गुलाब, कनेर, सूरजमुखी, केसरयुक्त चंदन, धूप-अगरबती, शुद्ध घी या चमेली के तेल का दीपक जालकर उनकी विधिवत पूजा करें।

4. इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें और भगवान राम सहित माता सीता और लक्ष्मण जी की आरती उतारें और उसके बाद हनुमान जी की भी आरती उतारें।

5. अंत में हनुमान जी को गुड़ चने और लड्डूओं का भोग लगाएं और इसे प्रसाद के रूप में स्वंय भी ग्रहण करें और लोगों के बीच में भी बांट दें।


हनुमान जयंती की कथा (Hanuman Jayanti Ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा दशरथ और उनकी तीनों पत्नियों ने अग्नि देव का यज्ञ किया था। तब अग्नि देव ने उनसे प्रसन्न होकर राजा दशरथ को खीर दी थी। राजा दशरथ ने वह खीर अपनी तीनों पत्नियों में बराबर बांट दी। लेकिन एक चील उस खीर को झपट कर अपने मुंह में ले गई और उड़ गई। जब वह चील अंजना के आश्रम के ऊपर से उड़ रही थी तब अंजना का मुंह ऊपर की और था। अंजना का मुंह खुला होने के कारण कुछ खीर उनके मुंह में आ गिरी और वह उस खीर को खा गई।

जिसकी वजह से वह गर्भवती हो गई और उनके गर्भ से शिवजी के 11वें रूद्र अवतार हनुमान जी ने जन्म लिया था। इसलिए हनुमान जंयती को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बजरंग बली के भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार उन्हें सिंदूर का चोला, लाल वस्त्र, ध्वजा, चंदन, फूलों में कनेर आदि के पीलोए फूल, धूप, अगरबती, गाय के शुद्ध घी का दीपक, आटे को घी में सेंककर गुड मिलाये हुए, लड्डू जिन्हें कसार के लड्ड आदि का भोग लगाते हैं।

हनुमान जयंती के दिन नारियल और पेडों को भोग भी हनुमान जी को लगाया जाता है। इसके अलावा बजरंग बली को दाख-चूरमे ,केले आदि फल भी अर्पित किए जाते हैं।इसके बाद हनुमान जी की आरती उतारी जाती है और उनका भजन कीर्तन किया जाता है। नरक चतुदर्शी के दिन सुन्दर काण्ड, हनुमान चालीसा का पाठ करना भी काफी शुभ रहता है।सालासर, मेंहदीपुर, चांदपोल जैसी जगहों पर इस दिन मेला भी लगता है।

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