Hariyali Teej 2020 Mein Kab Ki Hai : जानिए किन पूजा सामग्री के बिना अधूरा है हरियाली तीज का व्रत

Hariyali Teej 2020 Mein Kab Ki Hai : जानिए किन पूजा सामग्री के बिना अधूरा है हरियाली तीज का व्रत
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Hariyali Teej 2020 Mein Kab Ki Hai : हरियाली तीज 23 जुलाई 2020 (Hariyali Teej 23 July 2020) को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती की विधिवत पूजा करके अखंड सौभाग्य का वरदान मांगा जाता है। लेकिन इस पूजा में कुछ सामग्री अत्यंत ही आवश्यक है। जिसके न होने से हरियाली तीज का व्रत पूर्ण नहीं माना जाता तो चलिए जानते हैं हरियाली तीज के व्रत में जरूरी पूजा सामग्री के बारे में...

Hariyali Teej 2020 Mein Kab Ki Hai : हरियाली तीज का त्योहार (Hariyali Teej Festival) भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा (Lord Shiva And Goddess Parvati Puja) की जाती है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा में कुछ चीजो का होना अनिवार्य है नहीं तो आपको पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा तो चलिए जानते हैं हरियाली तीज के व्रत की पूजा की सामग्री के बारे में...

हरियाली तीज व्रत पूजा सामग्री (Hariyali Teej Vrat Puja Samagri)

हरियाली तीज के व्रत की पूजा सामग्री में बेल पत्र, केले के पत्ते, धतुरा, अकव पेड़ के पत्ते, तुलसी, शमी के पत्ते, काले रंगे की गीली मिट्टी, जनेव, धागा, नए वस्त्र, चूड़िया, महौर, खोल, सिंदूर, बिछुआ, मेंहदी,सुहाग पूड़ा, कुमकुम, कंघी,सुहागिन के श्रृंगार की चीजें। इसके अलावा श्रीफल,कलश, अबीर,चंदन,तेल,और घी, कपूर,दही,चीनी, शहद,दूध,और पंचामृत आदि बहुती ही ज्यादा आवश्यक है।

हरियाली तीज पूजा विधि (Hariyali Teej Puja Vidhi)

हरियाली तीज का व्रत करने से पहले सुबह उठकर जल्दी स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मन में व्रत का संकल्प लें। पूजा शुरू करने से पहले काली मिट्टी के प्रयोग से भगवान शिव और माता पार्वती तथा भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं।इसके बाद थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजा कर माता पार्वती को अर्पित करें। ऐसा करने के बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं। उसके बाद तीज की कथा सुने या पढ़ें।

इसके बाद भगवान गणेश की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें। आरती करने के बाद रात्रि जागरण जरूर करें। इसके बाद अगले दिन भगवान गणेश, माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत पूजा करें और माता पार्वती को सिंदूर अर्पित करे। पूजा के बाद भगवान शिव और माता पार्वती को भोग लगाएं और उसी भोग से अपने व्रत का भी पारण करें।

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