Hariyali Teej 2022 : हरियाली तीज के दिन मां गौरा और भगवान शिव को अर्पित करें ये चीज, मिलेगा अटल सुहाग का वरदान

Hariyali Teej 2022 : हरियाली तीज के दिन मां गौरा और भगवान शिव को अर्पित करें ये चीज, मिलेगा अटल सुहाग का वरदान
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Hariyali Teej 2022 : हिन्दू सनातन धर्म में हरियाली तीज का बहुत महत्व है। सुहागन महिलाएं हरियाली तीज के दिन व्रत रखती हैं और तृतीया तिथि के अगले दिन व्रत का पारण करती हैं। वैसे तो सालभर में चार तीज मुख्य रुप से मनायी जाती हैं, लेकिन इन सभी तीजों में हरियाली तीज का महत्व सबसे अधिक है। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी मनवांछित वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।

Hariyali Teej 2022 : हिन्दू सनातन धर्म में हरियाली तीज का बहुत महत्व है। सुहागन महिलाएं हरियाली तीज के दिन व्रत रखती हैं और तृतीया तिथि के अगले दिन व्रत का पारण करती हैं। वैसे तो सालभर में चार तीज मुख्य रुप से मनायी जाती हैं, लेकिन इन सभी तीजों में हरियाली तीज का महत्व सबसे अधिक है। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी मनवांछित वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। वहीं साल 2022 में हरियाली तीज का व्रत 31 जुलाई 2022, रविवार को रखा जाएगा। वहीं हरियाली तीज के दिन मां पार्वती के साथ में भगवान शिव का पूजन भी किया जाता है और हरियाली तीज के व्रत में पूजन सामग्री का भी विशेष महत्व होता है। तो आइए जानते हैं हरियाली तीज के इस व्रत में कौन सी पूजन सामग्री प्रयोग में लायी जाती है और इस दिन मां पार्वती और महादेव की पूजा कैसे की जाती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज के दिन व्रत करने वाली महिलाएं सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करके 16 श्रृंगार करती हैं। इस दिन पूजा के लिए केले के पत्तों का मंडप बनाकर गौरा (मां पार्वती) और भगवान शिव की मिट्टी की प्रतिमा बनायी जाती है और पार्वती जी को सभी प्रकार से श्रृंगार करके सुहाग का सभी सामान अर्पित किया जाता है और पूरे दिन निर्जला व्रत का पालन किया जाता है। उसके बाद शाम के समय महिलाएं झूला आदि झूलकर तीज का त्योहार मनाती है। तथा रात्रि में भजन-कीर्तन करती हैं। साथ ही शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनती है। इसके उपरांत अगले दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि के बाद पूजन कर श्रृंगार की सामग्री किसी सुहागन महिला को दान कर व्रत संपन्न किया जाता है।

पूजन सामग्री

हरियाली तीज की पूजन सामग्री में गीली मिट्टी, बेलपत्र, शमी का पत्र, इसके अलावा केले का पत्ता, धतूरे का फूल, आक का फूल, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, नीम, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, गुड़ और शहद आदि शामिल है।

सुहाग सामग्री

मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिन्दी, कुमकुम, सिन्दूर, कंघी, माहुर, सुहाग पिटारी आदि चीजों का मां पार्वती के श्रृंगार में प्रयोग किया जाता है और इसी प्रकार से सभी 16 श्रृंगार की वस्तुएं मां गौरा को अर्पित की जाती हैं, जिन्हें बाद में व्रत पूरा होने पर किसी अन्य सुहागन महिला को दे दिया जाता है।।

पूजा विधि

हरियाली तीज व्रत माता गौरी और भगवान शंकर को पूरी तरह समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह को स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और सभी पूजन सामग्री को एक साथ एकत्रित करके पूजाघर में कलश की स्थापना करके उस पर मां पार्वती और शिव की प्रतिमा स्थापित करें। सुहाग की सामग्री माता पार्वती को अर्पित करें। तथा भगवान शिव को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की व्रत कथा सुनें। तथा उसके बाद भगवान गणेश, माता पार्वती और भगवान शिवजी की आरती उतारें। तथा रात को जागरण करें। फिर अगले दिन सुबह स्नान कर माता पार्वती का पूजन करें और भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें। पार्वती जी को अर्पित की गई श्रृंगार सामग्री को सुहागिन महिला अथवा किसी पंडित को दान कर दें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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