Hariyali Teej In 2020 : जानिए कुंवारी लड़कियों के लिए क्यों खास होता है हरियाली तीज का व्रत

Hariyali Teej In 2020 : जानिए कुंवारी लड़कियों के लिए क्यों खास होता है हरियाली तीज का व्रत
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Hariyali Teej In 2020 : हरियाली तीज का व्रत (Hariyali Teej) सुहागन महिलाओं के साथ- साथ कुंवारी लड़कियां भी रखती है। लेकिन कुंवारी लड़कियों के लिए क्यों खास माना जाता है हरियाली तीज (Hariyali Teej) का यह व्रत आइए जानते हैं...

Hariyali Teej In 2020 : हरियाली तीज 23 जुलाई 2020 (Hariyali Teej 23 July 2020) को मनाई जाएगी। यह व्रत सुहागन महिलाएं अपने अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जितना खास यह व्रत (Vrat) सुहागन महिलाओ के लिए होता है उतना ही यह व्रत कुंवारी लड़कियों के लिए भी खास होता है।

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का व्रत किया जाता है। यह पर्व सावन मास में आता है। इस समय में चारो और हरियाली छाई होती है। यही कारण है कि इस त्योहार को हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को कठोर तपस्या करके प्राप्त किया था। वृक्ष, नदियो तथा जल के देवता वरूण की भी इस दिन पूजा की जाती है।

हरियाली तीज का यह व्रत सुहागन महिलाओं के साथ- साथ कुंवारी कन्याओं के लिए भी विशेष माना जाता है। यदि कोई कुंवारी लड़की इस दिन पूरे विधान से व्रत रखती है तो उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। यदि कोई कुंवारी लड़की किसी से प्रेम करती है और अगर वह हरियाली तीज का व्रत रखती है तो उसे उसका प्रेमी पति के रूप में अवश्य प्राप्त होता है। इतना ही नहीं उस कन्या का वैवाहिक जीवन सदैव ही सुखमय रहता है।

इसके साथ ही जिन लड़कियों का विवाह नही हो पा रहा या विवाह में किसी प्रकार की कोई अड़चन आ रही है। वह भी यदि हरियाली तीज के इस व्रत को करती है तो उनका विवाह शी्घ्र हो जाता है। वहीं यदि किसी लड़की के विवाह में कोई ग्रह दोष भी होता है वह भी हरियाली तीज के व्रत से समाप्त हो जाता है और उनका विवाह में आ रही सभी प्रकार की परेशानियां भी समाप्त हो जाती है।

इसके अलावा जिन महिलाओं का विवाह हो चुका है उन्हें संयुक्त रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से सुहागन महिलाओं के पति की उम्र लंबी होती है और साथ ही उनका वैवाहिक जीवन भी सुखमय रहता है। इस दिन सुहागन महिलाओ को निर्जला उपवास करना चाहिए और पूरा श्रृंगार करके एक नई दुल्हन की तरह सजना संवरना चाहिए।

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