Hartalika Teej 2021 :कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं हरतालिका तीज का व्रत, जानें इसके नियम और पूजा विधि

Hartalika Teej 2021 :कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं हरतालिका तीज का व्रत, जानें इसके नियम और पूजा विधि
X
  • हरतालिका तीज (Hartalika Teej) हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा व्रत माना जाता है।
  • महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला और निराहार रहकर हरतालिका तीज का व्रत करती हैं।
  • कुंवारी लड़कियां भी हरतालिका तीज का व्रत कर सकती हैं।

Hartalika Teej 2021 : हरतालिका तीज (Hartalika Teej) हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा व्रत माना जाता है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला और निराहार रहकर ये व्रत करती हैं। वहीं कुंवारी लड़कियों के लिए भी हरतालिका तीज का व्रत बड़ा खास माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कुंवारी लड़कियां अगर इस व्रत को करें तो उन्हें भगवान शिव जैसा पति मिलता है। पूरा दिन भूखे-प्यासे रहकर महिलाएं रतजगा भी करती हैं। तो आइए जानते हैं इस पावन व्रत हरतालिका तीज के कुछ विशेष नियम और पूजन विधि के बारे में।

ये भी पढ़ें : औरतों को कभी नहीं करने चाहिए ये तीन गंदे काम, मर्दों को उठानी पड़ती है शर्मिंदगी

यह व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। यानी कि एक पूरा दिन और अगली सुबह सूर्योदय तक महिलाएं जल ग्रहण तक नहीं कर सकतीं। इस व्रत को कुंवारी लड़कियां और शादीशुदा महिलाएं दोनों ही कर सकती हैं।

ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को जब भी कोई लड़की या महिला जब एक बार इसे शुरू कर देती है तो हर साल उसे पूरे नियम के साथ इस व्रत को करना पड़ता है। यानी कि आप इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ सकती हैं।

इस व्रत में महिलाएं नए कपड़े पहनकर संवरती हैं और पूरा सोलह श्रृंगार करती हैं। वहीं अनेक महिलाएं रात भर मिलकर भजन और पूजा करती हैं। हरतालिका तीज के दिन रात्रि जागरण किया जाता है और रात में पूजन-कीर्तन भी किया जाता है।

इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

माना जाता है कि अगर इस व्रत के समय आपने यदि जल का सेवन कर लिया तो आप अगले जन्म में मछली या पानी वाले जीवों की योनि में पैदा होंगी और अगर आपने किसी फल का सेवन कर लिया तो आपका जन्म बंदर या फल खाने वाले किसी पक्षी के रुप में होगा।

वहीं अगर आप हरतालिका तीज के दिन रात में सो गई तो आपका जन्म अजगर के रुप में होगा। इसीलिए इस दिन औरतें भूखी-प्यासी रहकर रातभर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं।

ये भी पढ़ें : Jyotish Shastra : कुंडली में ग्रह कमजोर करते हैं आदतों में बदलाव, जानें इन्हें मजबूत करने के उपाय

हरतालिका तीज पूजन विधि

हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यानि कि यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।

हरतालिका तीज में पूजन के लिए काली मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बनाई जाती हैं। उसके बाद उन्हें सजाया जाता है। तथा एक चौकी रखकर उसपर रंगोली बनाई जाती है। इस रंगोली के ऊपर केले के पत्ते रखकर इस पर शिव-पार्वती की प्रतिमा रखी जाती है। इसके बाद कलश की हल्दी और कुमकुम से पूजा की जाती है।

बाद में भगवान शिव और गौरी की पूजा करके उनका संपूर्ण श्रृंगार किया जाता है। फिर व्रती महिलाएं सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाती हैं और भगवान शिव को धोती या फिर तौलिया चढ़ाया जाता है। इसके बाद हरतालिका तीज की कथा पढ़ी जाती है और भगवान शिव-पार्वती और गणेश की आरती की जाती है। पूजा के बाद भगवान की परिक्रमा भी की जाती है।

इस प्रकार व्रती महिलाएं पूजन के बाद हरतालिका तीज की कथा सुनती हैं और रात भर जागरण करती हैं। अगली सुबह स्नान के बाद महिलाएं माता पार्वती पर सिन्दूर चढ़ाती हैं। उसके बाद हलुवे और ककड़ी का भोग लगाकर महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

Tags

Next Story