hastarekha shastr: हाथों की अंगुलियों से जानें अपना भाग्य

hastarekha shastr: हाथों की अंगुलियों से जानें अपना भाग्य
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hastarekha shastr: हस्तरेखा का ज्ञान होने के बाद लोगों को अपने और दूसरों के बारे में बहुत कुछ ज्ञान हो जाता है। हमारे हाथों की रेखाओं और अंगुलियों की बनावट से हमारे भविष्य से खास संबंध होता है। भविष्य में जो कुछ होने वाला होता है, उसका ज्ञान हम हाथ और अपने हाथों की अंगुलियों से लगा सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि क्या कहती हैं आपकी इंडेक्स फिगर और रिंग फिगर आपके बारे में।

hastarekha shastr: हस्तरेखा का ज्ञान होने के बाद लोगों को अपने और दूसरों के बारे में बहुत कुछ ज्ञान हो जाता है। हमारे हाथों की रेखाओं और अंगुलियों की बनावट से हमारे भविष्य से खास संबंध होता है। भविष्य में जो कुछ होने वाला होता है, उसका ज्ञान हम हाथ और अपने हाथों की अंगुलियों से लगा सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि क्या कहती हैं आपकी इंडेक्स फिगर और रिंग फिगर आपके बारे में।


जिन व्यक्तियों की इंडेक्स फिगर और रिंग फिगर दोनों समान होती हैं। एक प्रकार से ना छोटी और ना ही बड़ी। ऐसे लोग बहुत ही संतुलित और समझदार होते हैं। और अपने जीवन में अपने कार्यों को सुचारू रूप से करने वाले होते हैं। यह लोग अपने से जुड़े लोगों के जीवन में क्या चल रहा है। इस बात का अधिक ध्यान ना देकर स्वयं को कैसे आगे बढ़ाया जा सके, इस बात पर सदैव कार्य करते हुए पाए जाते हैं। इनके जीवन में किसी भी प्रकार की कठिन परिस्थितयां क्यों ना आ जाएं। ये लोग अपनी बुद्धि और चातुर्यता के बल पर बड़ी से बड़ी परेशानी को भी हल कर लेते हैं। जिन भी व्यक्तियों की तर्जनी और अनमिका अंगुली बिलकुल समान होती हैं। ऐसे लोग दूसरों के विचारों का सम्मान करते हैं। किन्तु ये लोग करते वहीं हैं जो इनका मन कहता है। ऐसे व्यक्तियों कर ताकत इनकी कार्य क्षमता में देखी जा सकती है। ऐसे लोग अधिक बोलने से ज्यादा कार्य करके दिखाने में विश्वास रखते हैं।

शास्त्रों के अनुसार इनमें जो सबसे बड़ी कमी पाई जाती है, वह है टाइम का पंचुअल ना होना। इन लोगों के अंदर टाइम की पंचुअल्टी कम ही देखने को मिलती है। ऐसे लोग किसी भी कार्य को करना प्रारंभ करें तो बड़े ही जुनून के साथ करते हैं। और यदि किसी कार्य को छोड़ दें तो उस कार्य को आज कर लेंगे, कल कर लेंगे करके टालते रहते हैं। और जब तक उस कार्य को पूर्ण नहीं करते जब तक वह कार्य सिर पर आकर ना गिर जाए।

एक और कमी जो इन लोगों के अंदर देखी जा सकती है, वह है इनका वेबजह झूठ बोलना। इनके झूठ बोलने के पीछे कोई कारण या गलत विचार नहीं होते हुए भी ये लोग हंसी-मजाक में झूठ बोलते रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार यदि ये लोग अपने आलस्य को त्याग दें तो कोई इनसे बड़ा ज्ञानी और बुद्धिमान व्यक्ति नहीं हो सकता है। इसका सबसे बड़ा प्रमुख कारण यही है कि जिन भी व्यक्तियों की तर्जनी और अनामिका अंगुली समान होती है। ऐसे व्यक्ति बड़े ही गजब के व्यक्ति होते हैं। इन लोगों में कोई ना कोई ऐसी विशेष कला अवश्य होती है। जिसके द्वारा ये लोग अपनी पहचान बना सकते हैं। किन्तु आलस्य के चलते ये लोग खुद को स्वयं ही नहीं पहचान पाते हैं। इसी कारण स्वयं के अंदर एक विशेष हुनर होते हुए भी ये लोग इसका पूर्णतया लाभ नहीं उठाते हैं। जिन लोगों की इंडेक्स और रिंग फिगर दोनों समान होती हैं। ऐसे लोगों की मैमोरी भी बड़ी अच्छी होती है। ऐसे लोग अपने परिवार की केयर करने वाले होते हैं। और अकसर देखा जाता है कि इनका भाग्योदय इनके विवाह के पश्चात होता है।

जिन लोगों की इंडेक्स फिगर रिंग फिगर से बड़ी होती है। ऐसे लोग बुद्धिमान और ज्ञानी होते हैं। ऐसे लोगों की नॉलेज बड़ली अच्छी होती है। जब भी किसी टॉपिक पर आप इन लोगों से बात करते हैं तो आपको भलीभांति पता पड़ जाता है कि यह व्यक्ति नॉलेज वाला है। क्योंकि इनका शब्दकोश और समझाने का तरीका अन्य लोगों से बड़ा और अलग देखा जाता है। किन्तु ऐसे लोग अपने ज्ञान का लाभ स्वयं नहीं ले पाते हैं। ऐसे लोग अपने ज्ञान के द्वारा दूसरे लोगों का तो भला कर देते हैं, किन्तु स्वयं का भला नहीं कर पाते हैं। और इनके जीवन में सफलता को लेकर संघर्ष चलता रहता है। ज्ञान की मात्रा परिपूर्ण होने के पश्चात भी इनके जीवन में धन से संबंधित संघर्ष चलता रहता है। धन की कमी जीवन में देखने का सबसे बड़ा कारण जो इनके जीवन में देखा जाता है वह है इन लोगों का आकर्षण।

इन लोगों में आत्मसम्मान इतना कुट-कुटकर भरा होता है कि ये लोग भूखे रह सकते हैं। किन्तु किसी के सामने झुक नहीं सकते हैं। कोई व्यक्ति सामने से आकर इनकी सहायता करे तो यह बात अलग है किन्तु ऐसे लोग किसी के पास अपनी सहायता के लिए नहीं जाते हैं। यहां फिर यह कह सकते हैं कि इनका स्वयं का आत्मसम्मान इनके जीवन में सर्वोपरि होता है। अपने आत्मसम्मान के चलते ये लोग ज्यादा लोगों से नहीं मिल पाते हैं। और अपने ज्ञान को एक्सप्रेस नहीं कर पाते हैं। और इसी कारण इनका ज्ञान दबा रह जाता है। किन्तु एक सत्यता यह भी है कि संघर्ष पूण जीवन के चलते ये लोग अपनी जिम्मेदारियों को भलीभांति निभाते हैं। अपने परिवार की केयर करने में ये लोग किसी भी प्रकार की कोताही नहीं करते हैं। ऐसे लोगों का 35वें वर्ष के बाद ही भाग्योदय होता है। 35 वर्ष के पश्चात ये लोग अपने भौतिक सुखों को धीरे-धीरे करके प्राप्त करना प्रारंभ कर देते हैं।

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