आखिर क्यों शालिग्राम पत्थर की होती है पूजा, जानें इसका इतिहास

History Of Shaligram Stone: हिंदू धर्म में शालिग्राम को भगवान के रूप में पूजा जाता है। यह एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है। शालिग्राम नेपाल स्थित दामोदर कुंड से निकलने वाली काली गंडकी नदी में मिलते हैं। वैष्णव धर्म की पवित्र नदी गड़की में पाए जाने वाला शालिग्राम को गंडकी नंदन के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है शालिग्राम 33 प्रकार के होते हैं। देवी वृंदा के श्राप के बाद भगवान विष्णु का नाम शालिग्राम प्रसिद्ध हो गया। अर्थात शालिग्राम भगवान विष्णु का नाम है। जो हिंदू धर्म में परमेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं।
वैष्णव शास्त्रों के अनुसार, शालिग्राम को सालग्राम के नाम से भी जानते हैं। इस नाम का संबंध सालग्राम नामक गांव से है, जो नेपाल के गंडकी नदी के किनारे बसा है। भारत में शालिग्राम जी का सिर्फ एक ही मंदिर नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र में स्थित है। पुराणों में कहा गया है कि शालिग्राम और शिवलिंग को भगवान का विग्रह रूप माना जाता है। हिंदू धर्म में आमतौर पर मूर्तियों की पूजा की जाती है। लेकिन इन मूर्तियों के पूजा करने से पहले ही भगवान ब्रह्मा को शंख, भगवान विष्णु को शालिग्राम और भगवान शिवजी को शिवलिंग के रूप में पूजा किया जाता था। श्री कृष्ण ने गीता के 12वें अध्याय के 5 वें श्लोक में कहा कहा है कि.. ”जिन लोगों के मन में परमात्मा के अप्रत्यक्ष रूप, अवैयक्तिक गुणों से जुड़े होते हैं, उन सब लोगों के लिए उन्नति बहुत कठिन है। इस अनुशासन में शरीर युक्त जीव को प्रगति करना सदैव मुश्किल हो जाता है।
जानें शालिग्राम पत्थर का क्या है इतिहास
जिस तरह शिवलिंग को मिलना दुर्लभ है। इसी प्रकार शालिग्राम का भी मिलना मुश्किल है। नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र स्थित काली गंडकी नदी के तट पर अधिकतर शालिग्राम पाए जाते हैं। शालिग्राम पत्थर का रंग काला होने के अलावा भूरा, सफेद, नीले और सुनहरी भी होता है। लेकिन खास बात यह है कि सुनहरे रंग के शालिग्राम मिलना अत्यंत ही दुर्लभ हैं। पूर्ण शालिग्राम में विष्णु भगवान के चक्र की आकृति बनी होती है।
जानें कितने प्रकार के होते हैं शालिग्राम
शास्त्रों से पता चलता हैं कि भगवान विष्णु के अनेकों अवतार हैं और उन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार शालिग्राम के भी 33 प्रकार के होते हैं। जिसमें शालिग्राम का भगवान विष्णु के 24वें अवतार से संबंधित है। शालिग्राम गोलाकार होते हैं, उन्हें भगवान विष्णु के गोपाल रूपी माना जाता है। वहीं, जो शालिग्राम मछली के आकार के होते हैं वो मत्स्य अवतार और कछुए के आकार वाले शालिग्राम को कच्छप अवतार का प्रतीक माना जाता है।
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