Holashtak 2021 : आज से शुरू होंगे होलाष्टक, भूलकर भी ना करें ये काम

Holashtak 2021 : आज से शुरू होंगे होलाष्टक, भूलकर भी ना करें ये काम
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  • होली (Holi) एक दिन का पर्व न होकर पूरे नौ दिनों का त्यौहार है।
  • होलाष्टक (Holashtak) के समय शुभ कार्य वर्जित होते हैं और होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी (Ashtami of phalgun shukla paksha) को लगता है।

Holashtak 2021 : होलाष्टक के शाब्दिक अर्थ पर जाए, तो होला + अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन, जो दिन होता है, वह होलाष्टक कहलाता है। सामान्य रुप से देखा जाये तो होली एक दिन का पर्व न होकर पूरे नौ दिनों का त्यौहार है।

होलाष्टक के समय शुभ कार्य वर्जित होते हैं और होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगता है। होलाष्टक फिर आठ दिनों तक रहता है और सभी शुभ मांगलिक कार्य रोक दिए जाते है यह दुलहंडी पर रंग खेलकर खत्म होता है।

महाकाल की नगरी उज्जैन स्थित अवंतिका तीर्थ के पुरोहित पंडित शिवम जोशी के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी पर दो डंडे स्थापित किए जाते हैं। जिनमें एक को होलिका तथा दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है। इससे पूर्व इस स्थान को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है फिर हर दिन इसमे गोबर के उपल, लकड़ी घास और जलने में सहायक चीजे डालकर इसे बड़ा किया जाता है।

पौराणिक कथाओं एवं शास्त्रों के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र भक्त प्रह्लाद को भगवद् भक्ति से हटाने और हिरण्यकश्यप को ही भगवान की तरह पूजने के लिए अनेक यातनाएं दी लेकिन जब किसी भी तरकीब से बात नहीं बनी तो होली से ठीक आठ दिन पहले उसने प्रह्लाद को मारने के अनेक प्रयास आरंभ कर दिए थे। लगातार आठ दिनों तक जब भगवान अपने भक्त की रक्षा करते रहे तो होलिका के अंत से यह सिलसिला थमा। इसलिए आज भी भक्त इन आठ दिनों को अशुभ मानते हैं। उनका यकीन है कि इन दिनों में शुभ कार्य करने से उनमें विघ्न बाधाएं आने की संभावनाएं अधिक रहती हैं।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक मे सभी शुभ कार्य करना वर्जित रहते हैं, क्योकी इन आठ दिन में आठ ग्रह उग्र रहते हैं। इन आठ दिवसों में अष्टमी को चन्द्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल, और पूर्णिमा को राहू उग्र रहते हैं। इसलिए इस अवधि में शुभ कार्य करने वर्जित हैं।

होलाष्टक की डेट

होलाष्टक आज यानि 21 मार्च से लगेंगे और 28 मार्च 2021 तक रहेंगे। पंडित शिवम जोशी के अनुसार, इन आठ दिन के दौरान कोई मांगलिक कार्य, गृह प्रवेश करना वर्जित होगा व्यक्ति को नए रोजगार और नया व्यवसाय भी नही शुरू करना चाहिए।

होलाष्टक में न करें ये कार्य

विवाह

होली से पूर्व के आठ दिनों में भूलकर भी विवाह न करें। यह समय शुभ नहीं माना जाता है, जब तक कि कोई विशेष योग आदि न हो।

नामकरण और मुंडन संस्कार

होलाष्टक के समय में अपने बच्चे का नामकरण या मुंडन संस्कार कराने से बचें।

भवन निर्माण

होलाष्टक के समय में किसी भी भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं। होली के बाद नए भवन के निर्माण का शुभारंभ कराएं।

हवन-यज्ञ

होलाष्टक में कोई यज्ञ या हवन अनुष्ठान करने की सोच रहे हैं, तो उसे होली बाद कराएं। इस समय काल में कराने से आपको उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा।

नौकरी

होलाष्टक के समय में नई नौकरी ज्वॉइन करने से बचें। अगर होली के बाद का समय मिल जाए तो अच्छा होगा। अन्यथा किसी ज्योतिषाचार्य से मुहूर्त दिखा लें।

खरीदारी

संभवत हो तो होलाष्टक के समय में भवन, वाहन आदि की खरीदारी से बचें। शगुन के तौर पर भी रुपए आदि न दें।

करें पूजा-अर्चना

होलाष्टक में पूजा-अर्चना की के लिए किसी भी प्रकार की मनाही नहीं होती। होलाष्टक के समय में अपशकुन के कारण मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। हालांकि होलाष्टक में भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय में आप अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना, भजन, आरती आदि करें, इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।

परंतु सकाम (किसी कामना से किये जाने वाले यज्ञादि कर्म) किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किये जाते।

सनातन हिंदू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताये जाते हैं इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिये। हालांकि दुर्भाग्यवश इन दिनों किसी की मौत होती है तो उसके अंत्येष्टि संस्कार के लिये भी शांति पूजन करवाया जाता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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