Holashtak 2022: होलाष्टक हो चुके हैं शुरु, सूर्यदेव को शांत करने के लिए कर लें ये उपाय, वरना...

Holashtak 2022: होलाष्टक हो चुके हैं शुरु, सूर्यदेव को शांत करने के लिए कर लें ये उपाय, वरना...
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Holashtak 2022: होलाष्टक की शुरुआत 10 मार्च से हो चुकी है। वहीं होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, उन सभी कार्यों पर रोक लग जाती है। कहते हैं, होलिका दहन के पहले तक किसी भी शुभ कार्य जैसे शादी, ब्याह, सगाई, मुडन, भूमि पूजन, ग्रह प्रवेश आदि नहीं करने चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि, होलाष्टक के दौरान ग्रहों के उग्र हो जाने से शुभ कार्यों में उनका सहयोग नहीं मिल पाता है।

Holashtak 2022: होलाष्टक की शुरुआत 10 मार्च से हो चुकी है। वहीं होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, उन सभी कार्यों पर रोक लग जाती है। कहते हैं, होलिका दहन के पहले तक किसी भी शुभ कार्य जैसे शादी, ब्याह, सगाई, मुडन, भूमि पूजन, ग्रह प्रवेश आदि नहीं करने चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि, होलाष्टक के दौरान ग्रहों के उग्र हो जाने से शुभ कार्यों में उनका सहयोग नहीं मिल पाता है। इसीलिए इस दौरान उन कामों को करने से मना किया जाता है। होलाष्टक के दौरान सूर्यदेव के उग्र होने पर उन्हें शांत करने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए। तो आइए जानते हैं सूर्यदेव को शांत करने के उन उपायों के बारे में...

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  1. सुबह स्नान के बाद सूर्यदेव की पूजा करें और उन्हें जल अर्पित करें और इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करें। तथा सूर्य मंत्र और आदित्य हृदयस्तोत्र का पाठ करें और सुनें। इसके बाद सूर्यदेव से अपने कल्याण की कामना करें।
  2. होलाष्टक के दौरान सूर्यदेव के मंत्र ऊँ हृं ह्रीं ह्रूं स: सूर्या नम: का जाप करें। आप इस मंत्र का जाप तीन या पांच माला कर सकते हैं । इस मंत्र के जाप से भी सूर्यदेव को शांत किया जा सकता है।
  3. सूर्यदेव से जुड़ी वस्तुओं का दान करके भी आप सूर्यदेव को शांत कर सकते हैं। सूर्यदेव की पूजा के बाद गेंहू, लाल कमल, मसूर दाल, गुड़, तांबा के बर्तन, लाल और पीले वस्त्र आदि का दान करने से सूर्यदेव शांत रहते हैं।
  4. सूर्यदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए माता-पिता के पैर छूए और उनसे आशीर्वाद लें। अपने माता-पिता की सेवा करें और इतना ही नहीं आप उनकी आज्ञा का पालन भी करें।
  5. धार्मिक मान्यता है कि, गाय की सेवा करने से हजार तीर्थों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है और समस्त दोष दूर होते हैं।
  6. नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र या नवग्रह कवच का जाप भी आप होलाष्टक के दौरान कर सकते हैं। ऐसा करने से सभी ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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