Holashtak 2021 : होलाष्टक के नियम, जानें किस कार्य की सिद्धि के लिए कैसे करें पूजा-पाठ

- होलाष्टक (Holashtak) में मांगलिक कार्य होते हैं वर्जित
- होलाष्टक में पूजा-पाठ का होता है विशेष महत्व
- होलाष्टक में क्या करें, क्या ना करें, जानें
- होलाष्टक में फैलती है नकारात्मक ऊर्जा
Holashtak 2021 : होलाष्टक के दौरान ग्रहों की नकारात्मकता बढ़ने से आठ दिन तक वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहेगा। ग्रह-नक्षत्र के कमजोर होने के कारण इस दौरान जातक की निर्णय क्षमता कम हो जाती है। होलाष्टक के दौरान पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है। होलाष्टक के समय में मौसम में बदलाव होता है, इसलिए दिनचर्या को काफी अनुशासित रखें। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के मुताबिक, होलाष्टक का आरंभ 21 मार्च से हो जाएगा। इस दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। चंद्रमा मिथुन राशि में विराजमान होंगे और इस दिन आद्रा नक्षत्र भी रहेगा। अन्य ग्रहों व राशियों की बात की जाए तो वृष राशि में राहु और मंगल, वृश्चिक राशि में केतु, मकर राशि में गुरू और शनि, कुंभ राशि में बुध और मीन राशि में सूर्य व शुक्र विराजमान रहेंगे।
होलाष्टक का समापन होलिका दहन के दिन हो जाता है। होलाष्टक के दौरान विवाह का मुहूर्त नहीं होता इसलिए इन दिनों में विवाह जैसा मांगलिक कार्य संपन्न नहीं करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि नए घर में प्रवेश भी इन दिनों में नहीं करना चाहिए। भूमि पूजन भी इन दिनों में न ही किया जाए तो बेहतर है। नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है। हिन्दू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताए जाते हैं, इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिए। होलिका दहन 28 व 29 मार्च को होली खेली जाएगी।
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होलाष्टक में क्या नहीं करना चाहिए
मान्यता के अनुसार होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश के साथ खरमास का आरंभ हो चुका है। खरमास में मांगलिक कार्यों को करना शुभ नहीं माना जाता है। कुण्डली विश्लेषक और ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, होलाष्टक के आठ दिनों तक शादी विवाह जैसे कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके साथ ही भूमि, भवन और वाहन आदि की भी खरीदारी को शुभ नहीं माना गया है। वहीं नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है। हिन्दू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताये जाते हैं इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिये। हालांकि दुर्भाग्यवश इन दिनों किसी की मौत होती है तो उसके अंत्येष्टि संस्कार के लिए भी शांति पूजन करवाई जाती है। इसके साथ ही इस दौरान किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किए जाते।
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होलाष्टक में क्या करना चाहिए
होलाष्टक के दौरान पूजा-पाठ का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस दौरान मौसम में तेजी बदलाव होता है। इसलिए अनुशासित दिनचर्या को अपनाने की सलाह दी जाती है। होलाष्टक में स्वच्छता और खानपान का उचित ध्यान रखना चाहिए। होलाष्टक के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर के पंडित भगवान सहाय (मदन) शर्मा ने बताया कि होलाष्टक में भले ही शुभ कार्यों के करने की मनाही है लेकिन इन दिनों में अपने आराध्य देव की पूजा अर्चना कर सकते हैं। व्रत उपवास करने से भी आपको पुण्य फल मिलते हैं। इन दिनों में धर्म कर्म के कार्य वस्त्र अनाज व अपनी इच्छा व सामर्थ्य के अनुसार जरुरतमंदों को धन का दान करने से भी आपको लाभ मिल सकता है।
संतान के लिए
यदि किसी कपल को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो वह होलाष्टक में लड्डु गोपाल की विधि विधान से पूजा पाठ करें। इस दौरान हवन भी करें जिसमें गाय का शुद्ध घी और मिश्री का इस्तेमाल करें। इस उपाय को करने से निसन्तान को भी संतान प्राप्त हो जाती है।
करियर में सफलता के लिए
यदि आप अपने करियर में तरक्की पर तरक्की चाहते हैं तो होलाष्टक में यह उपाय करें। घर या ऑफिस में जौ, तिल और शक्कर से हवन करवाएं। ऐसा कर आपके करियर में आने वाली सभी बाधाएं खत्म हो जाएगी। आप जिस भी फील्ड में काम स्टार्ट करेंगे उसमें आसानी से सफलता का स्वाद चख सकेंगे।
धन प्राप्ति के लिए
यदि आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं या अत्यधिक धन की कामना रखते हैं तो होलाष्टक में यह उपाय जरूर करें। कनेर के फूलए गांठ वाली हल्ती, पीली सरसों और गुड़ के द्वारा अपने घर में हवन करें। ऐसा करने से पैसों से जुड़ी सभी दिक्कतें दूर हो जाएगी। इतना ही नहीं संपत्ति से जुड़े मामलों में भी लाभ होगा।
अच्छी हेल्थ के लिए
अपनी अच्छी सेहत के लिए आपको होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। ये जाप करने के बाद गुग्गल से हवन भी करना न भूलें। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से असाध्य रोग से मुक्ति प्राप्त होती है।
सुखमय जीवन के लिए
यदि आपके जीवन में अत्यधिक दुख हैं तो होलाष्टक में हनुमान चालीसा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना शुरू कर दें। इससे आपके सभी दुख समाप्त हो जाएंगे। जीवन में खुशियां ही खुशियां होगी। आपकी लाइफ सुख सुविधाओं से सज्जित होगी।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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