Dat Holi 2023: जानें हरियाणा में कहां खेली जाती है खौलते गर्म पानी से रंग की होली, ये है अनूठी परंपरा और इतिहास

Holi 2023: होली एक लेकिन हर राज्य के रंग अनेक, यहां हम बात करने वाले हैं हरियाणा राज्य के पानीपत की। जहां होली बड़े ही अनोखे तरीके से मनाई जाती है। हरियाणा राज्य देश के नक्शे में ठीक उसी प्रकार है, जैसे मनुष्य के शरीर में दिल। हरियाणा सिर्फ हैंडलूम, जलेबी या उद्योग धंधों से ही नहीं बल्कि होली के नाम से भी मशहूर है। प्रदेश में दो तरह की होली मशहूर हैं, एक दिल्ली के आस-पास के शहर और दूसरा कोड़े या कोरड़ा वाली होली, जो बहुत ज्यादा अधिक प्रसिद्ध है। इसके साथ ही राज्य में अलग-अलग तरह की परंपरा भी है, लेकिन हम बात करने वाले हैं हरियाणा के पानीपत की डाट होली के बारे में, जो काफी मशहूर है। तो आइए जानते हैं कैसे खेली जाती हैं पानीपत की डाट होली और कब से शुरू हुई है ये परंपरा...
कैसे खेली जाती है डाट होली
पानीपत के डाहर गांव में डाट होली खेली जाती है। ऐसे तो हरियाणा की पारंपरिक होली का इतिहास सदियों पुराना है लेकिन आज भी पानीपत के लोग अपनी संस्कृति और इतिहास को जिंदा रखते हुए होली की परंपरा निभाते आ रहे हैं। यहां के होली के त्योहार पर एक अलग ही देखने को मिलता है। होली में किसी पर रंग लगाने पर जान बचाकर भागने लगता है लेकिन पानीपत के डाहर गांव में युवाओं पर रंग डालने पर ये भागते नहीं बल्कि डटकर सामना करते हैं। यहां के होली में युवा एक दीवार के साथ लगकर बैठ जाते हैं, चाहे जितना रंग लगा लो पीछे नहीं हटते हैं। इसी प्रकार गांव के दो टोलियां एक-दूसरे के सामने खड़े हो जाते हैं और रंगों की बौक्षार करते हैं। जो टोली, दूसरे टोली को पीछे पछाड़ देती है, वो जीत जाती है। इसे कहते हैं डाट होली, जो हरियाणा के पानीपत के डाहर गांव में खेली जाती है। इस गांव की महिलाएं भी पुरूषों से कम नहीं है। यहां की महिलाएं घर की छत पर बैठ कर कढ़ाई में गर्म किया हुआ रंग युवाओं पर डालती है। इस गांव की खास डाट होली इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि होली में खेले जाने वाले रंग खुद अपने घर में बनाते हैं।
1288 से चली आ रही हैं डाट होली की परंपरा
पानीपत की डाहर गांव में डाट होली खेलने की परंपरा 1288 ई. से ही चलती आ रही है। ऐसा माना जाता है कि एक बार अंग्रेजों ने यहां की होली खेलना बंद करवा दिया था। तब ग्रामीण अंग्रेजों के साथ भिड़ गए थे और ये लड़ाई आखिरकार एक महीने बाद खत्म हुई। अंग्रेज झुक गए। इसके बाद से ही इस गांव में अब तक डाट होली खेलने की परंपरा खत्म नहीं हुई है। यहां के लोग होली खेलकर भाईचारे की मिसाल देते हैं। डाट होली के दिन हर ग्रामीण रंग में भीगना अपना सौभाग्य मानता है।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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