Holi Specail: गुजरात-झारखंड और उत्तराखंड के इन गावों में नहीं मनाई जाती है होली, जानें क्या है इसके पीछे की वजह

Holi Specail: गुजरात-झारखंड और उत्तराखंड के इन गावों में नहीं मनाई जाती है होली, जानें क्या है इसके पीछे की वजह
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हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा की शाम को होलिका दहन होता है और उसके बाद अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है।

Holi Specail: होली और दिवाली का पर्व हिंदू धर्म में सबसे बड़े त्योहारों में गिने जाते हैं। हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा की शाम को होलिका दहन होता है और उसके बाद अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, जो आमतौर पर फरवरी और मार्च महीने के बीच आती है। भारत में होली के उत्सव को सभी लोग मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली के त्योहार को लेकर कई ऐसे राज्यों के गांव भी हैं, जहां पर होली नहीं खेली जाती है। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है और आखिर लोगों ने अभी तक यहां होली खेलने की परंपरा को शुरू क्यों नहीं किया।

गुजरात का रामेश्वर गांव

गुजरात का रामसन उर्फ रामेश्वर गांव 200 साल से ज्यादा समय से होली का त्योहार नहीं मना रहा है। इस स्थान का नाम पहले रामेश्वर था और बाद में रामसन किया गया। कहते हैं कि यह जगह भगवान राम से संबंधित है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, भगवान राम अपने जीवनकाल में यहां आए थे। कहते हैं कि यहां पर एक बार गांव में होली के दौरान आग लग गई थी। कई घर और लोगों की जान चली गई थी। तभी से होलिका दहन नहीं होता है। लोग डरते हैं कि कहीं होलिका दहन से पूरी गांव में आग न लग जाए।

झारखंड का दुर्गापुर गांव

झारखंड में बोकारो के पास दुर्गापुर नाम का एक गांव है। कहते हैं कि इस गांव में बीते 100 सालों से होली नहीं मनाई गई है। होली को यहां अशुभ माना जाता है। लोगों का मानना है कि होली के दिन यहां राजा की मृत्यु हो गई। राजा ने प्रजा से कहा था कि होली नहीं मनाना। तभी से होली इस गांव में नहीं मनाई जाती है। स्थानीय लोग कहते हैं कि अगर वे होली खेलेंगे तो देवी उनसे नाराज हो जाएंगी।

उत्तराखंड के तीन गावों में नहीं खेली जाती है होली

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के तीन गांवों में होली नहीं खेली जाती है। यहां बीते 373 सालों से गांवों के लोगों ने कभी एक दूसरे को रंग तक नहीं लगाया है और न ही होली खेली है। जिले से 20 किमी की दूरी पर मौजूद तीन गांवों क्विली, कुरझण और जोंधला गांव हैं। यहां स्थानीय लोगों को मानना है कि अगर हम होली खेलेंगे तो हमारी देवी नाराज हो जाएंगी। देवी के नाराज न होने की वजह से हम होली नहीं खेलते हैं।

डिस्क्लेमर: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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