Vedas in Hinduism: हर सनातनी को पढना चाहिए वेद, जानें इनके प्रकार और महत्व

Vedas in Hinduism: धार्मिक ग्रंथ में सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद को माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि वेद के आधार पर दुनिया के अन्य धर्मों की उत्पत्ति हुई। जिन्होंने वेदों में इन्हीं धर्मों को अलग अलग भाषाओं में प्रचारित किया गया। ऐसी मान्यता है कि वेद ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुनाए गए ज्ञान पर आधारित हैं। जिसके कारण इसे श्रुति कहा जाता है। अर्थात वेद के सामान्य अर्थ की बात करें तो इसका मतलब ज्ञान होता है। वेद में पुरातन, ज्ञान, औषधि, प्रकृति, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों का अथाह ज्ञान का भंडार है। वेद से मनुष्य की हर समस्या का समाधान है। तो आइए जानते हैं विस्तार पूर्वक वेदों के बारे में...
माना जाता है कि वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे प्राचीन लिखित दस्तावेज प्रमाण हैं। ऐसी मान्यता है कि वेदों की 28 हजार पांडुलिपियाँ भारत के पुणे के भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में रखी गई है। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियां बहुत ही खास है, जिसे यूनेस्को ने विरासत की सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने अपनी सांस्कृतिक धरोहरों के रूप में ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को शामिल किया है। खास बात यह है कि यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची में 38 है।
जानें वेद के प्रकार
सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद के चार विभाग है। ऋग्वेद यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद। ऐसी मान्यता है कि इन्हीं चार वेदों से धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र, और मोक्ष शास्त्र की उत्पत्ति हुई थी। कहा जाता है कि ऋग्वेद को धर्म, यजुर्वेद को मोक्ष, सामवेद को काम और अथर्ववेद को अर्थ से जोड़ा गया है। इन चारों वेदों का अर्थ यानी, ऋग का मतलब स्थिति, यजु का रूपांतरण, साम का गतिशील और अथर्व का मतलब जड़ होता है।
चारों वेदों का संक्षिप्त परिचय
ऋग्वेद- ऋग्वेद का अर्थ स्थिति और ज्ञान होता है। धार्मिक ग्रंथों में ऋग्वेद सबसे पहला वेद है जो पद्यात्मक है। इस वेद में 10 अध्याय में 1028 सूक्त है। इन 1028 सूक्त में 11 हजार मंत्र हैं। ग्रंथों के अनुसार, इस वेद में 5 शाखाएं शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन है। ऋग्वेद के 10 वें अध्याय में 125 प्रकार के औषधियों के बारे में बताया गया है, जो विश्व के 107 स्थानों पर पाई जाती है।
यजुर्वेद- यजुर्वेद का अर्थ गतिशील आकाश होता है। ये दो शब्द यत् और जु से मिलकर बना है। यत् का अर्थ होता है गतिशील और जु का अर्थ होता है आकाश। इस वेद में यज्ञ और यज्ञ से संबंधित विधियों के प्रयोग में होने वाले मंत्र के बारे में बताया गया है। इस वेद में ब्राह्मण, आत्मा, ईश्वर और पदार्थ सभी चीजों का ज्ञान हैं।
सामवेद- सामवेद का अर्थ रूपांतरण और संगीत होता है। इसके अलावा सौम्यता और उपासना होता है। सामवेद को संगीत शास्त्र का मूल माना गया है। इस वेद में 1824 मंत्र शामिल है लेकिन 75 मंत्र को छोड़कर बाकी के सभी मंत्र ऋग्वेद से लाए गए हैं। इस वेद में मुख्य रूप से 3 शाखाएं और 75 ऋचाएं हैं।
अथर्ववेद- अथर्ववेद दो शब्द अ और थर्व से मिलकर बना है। थर्व का अर्थ होता है कंपन और अथर्व का अर्थ होता है। अकंपन। ऐसी मान्यता है कि अथर्ववेद में रहस्यमयी विद्याओं, जड़ी बूटियों, चमत्कार और आयुर्वेद आदि के बारे में बताया गया है। इस वेद में 20 अध्याय और 5687 मंत्र शामिल है। अथर्ववेद में 8 खण्ड है।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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