मूलांक '2' के जातक कैसे होते हैं, आप भी जानें

मूलांक दो का स्वामी चन्द्रमा है। मूलांक '2' के जातकों का स्वभाव चन्द्रमा जैसा शीतल होता है। जैसे चन्द्रमा हृदयता और मन का प्रतीक होता है, वैसे ही ये जातक मन के धनी होते हैं। और बौद्धिक कार्यों में ज्यादा सफल साबित होते हैं। तथा मूलांक '2' के जातक मृदुभाषी, कल्पनाशील, शांत और कोमल स्वभाव के होते हैं। पंडित उमाशंकर भारद्वाज के अनुसार आप भी जानें मूलांक '2' वाले जातकों की विशेषताएं, कमियां और स्वभाव के बारे में।
विशेषता
आपका बुद्धि चातुर्य अच्छा रहता है और इसी वजह से आप दूसरों से ज्यादा सम्मान प्राप्त करते हैं और लोकप्रिय बन जाते हैं। आप विचारों और सिद्धांतों के धनी हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा-स्रोत हैं। आप कठिन परिस्थितियों में भी अपना कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न कर पाते है और दूसरों से बाजी मार लेते हैं।
मूलांक दो के जातक वफादार होते हैं, अगर वे कहते हैं आप को प्यार करते हैं तो आप उनपर विश्वास कर सकते हैं। ये भावुक स्वभाव के अच्छे मित्र साबित होते हैं। दूसरों के दुःख-दर्द की इनमे अच्छी समझ होती है। इनमें दूसरों के मन की स्थिति जान लेने की क्षमता होती है। दूसरों के लिए भी ये संवेदनशील होते हैं और अच्छे श्रोता होते हैं। आप लोग मित्र बनाने मे सक्षम हैं, सौंदर्य प्रेमी भी होते है आपमें सौंदर्य-बोध कि अच्छी समझ होती हैं।
मृदु-भाषी और अच्छी छवि के कारण इनमें राजनयिक या राजनेता बनने के गुण होते हैं और अपने प्रतिद्वंदियों के लिए एक प्रबल दावेदार साबित होते हैं।
मूलांक दो के जातक निश्छल, निष्कपट, सत्यवादी और वफादार होते हैं। आप लोग अकेले रहना पसंद नहीं करते और आपको कोई न कोई साथ में चाहिए रहता है।
कमियां
मूलांक 2 के जातक किसी कार्य को लम्बे समय तक कर पाने में सक्षम नहीं होते। जैसे चन्द्रमा की कला बदलती रहती है उसी प्रकार से आपका विचार, मन की स्थिति और योजना बदलती रहती है। अस्तिरथा आपकी बड़ी योजनाओं के विफल होने का मुख्य कारण बनती है।
आप में एकाग्रता की कमी और आत्म-विश्वास की कमी आपको निराशा के गर्त में ढ़केल देता है। अगर मन मुताबिक माहौल न मिले तो आप जल्दी निराश हो जाते हैं और अपना स्वाभाविक कार्य-संपादन करने में भी असफल हो जाते हैं।
अधिक संवेदनशीलता इन जातकों को भावुक और शर्मीला बनती है। इसी स्वभाव से ये जातक बहुत सी बातें सबको नहीं बता पाते यानि लोगों के समक्ष अपने विचार रख नहीं पाते और इससे आपको समझ पाने में काफी समय लगता है। आपके विचार और योगदान इसी वजह से सामने नहीं आ पाते।
दूसरों के दुःख दर्द से परेशान होना इन जातकों के स्वभाव की कमजोरी है। ऐसे में इन जातकों का धोखा खाना भी संभव है।
मूलांक दो द्वैतवाद का प्रतीक है। आप जो हैं उसी में दिखें या बने रहे, आप जो नहीं हैं आप उसे दिखाने का कोई प्रयास न करें। आप खुद को जानते हैं। दोहरा व्यक्तित्व आपका जीवन कठिन बना सकता है, इससे बचें.
ये जातक जल्दी ही अनिर्णय की स्थिति में पहुंच जाते हैं और इन जातकों में आत्म-विश्वास की कमी उसमें आग में घी का कार्य करता है। अपने विचारों का सम्मान करें और अपनी ऊपर विश्वास रखें।
विवेचना
स्वामी ग्रह : चंद्रमा
विशेष प्रभावी : 20 जुलाई से 21 अगस्त के मध्य जन्म लेने वाले जातक
अत्यंत शुभ तिथियां : 2, 11, 20, 29
मध्यम फलदायी तिथियां : 4, 13, 22 31 एवं 3, 16, 25
सर्वोत्तम वर्ष : 2, 11, 20, 29, 38, 47, 56, 65
मध्यम वर्ष : 4, 13, 22, 31, 40, 49, 58, 67 एवं 7, 16, 25, 34, 43, 52, 61, 70
शुभ दिन : सोमवार, शुक्रवार, रविवार
सर्वोत्तम दिन : सोमवार
शुभ रंग : सफेद, कर्पूरी, धूप-छांव, अंगूरी तथा हल्का हरा रंग
अशुभ रंग : लाल, काला, नीला
शुभ रत्न : मोती, चंद्रकांता मणि, स्फटिक, दूधिया
प्रभावित अंग : फेफड़े, छाती, हृदय, वक्षस्थल, जिह्वा, तालु, रक्त संचार
रोग : हृदय और फेफड़े संबंधी, अपच, डिप्थीरिया, दार्इं आंख, निद्रा, अतिसार, जीभ पर छाले, रक्ताल्पता, गुर्दे संबंधी रोग, जलोदर, आंत रोग, कुंठा, उद्वेग
विवाह शुभता : 15 मई से 14 जून, 15 अक्टूबर से 14 नवम्बर, 15 फरवरी से 14 मार्च के मध्य उत्पन्न जातक से
शुभ मास : फरवरी, अप्रैल, जून, सितम्बर, नवम्बर
व्यवसाय : द्रव्य पदार्थ, तैतीय कार्य, पर्यटन, एजेंट, फल-फूल, दूध-दही, संपादन, लेखन, अभिनय, नृत्य, ठेकेदारी, चिकित्सा, रत्नों का व्यवसाय, दंत चिकित्सा, पशुपालन
शुभ दिशा : उत्तर, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम
अशुभ दिशा : दक्षिण-पूर्व, पश्चिम
दान पदार्थ : मोती, स्वर्ण, चांदी, कपूर, श्वेत वस्तु, पुस्तक, धार्मिक ग्रंथ, मिश्री, दूध, दही, श्वेत पुष्प, शंख, कागज व चीनी
देव : शिवजी
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS