मूलांक '4' के जातक कैसे होते हैं, आप भी जानें

मूलांक चार का स्वामी हर्षल ग्रह है। मूलांक 4 के जातक निरंतर क्रियाशील रहते हैं। ये जातक सामाजिक और व्यवहारिक सोच रखने वाले लोगों में से होते हैं। ये जातक मेहनती होते हैं और मेहनत से अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं। आइए आप भी विस्तार से जानें श्रीराम कथा वाचक पंडित उमाशंकर भारद्वाज के अनुसार मूलांक 4 के जातकों की विशेषताएं, कमियां और विवेचना के बारे में आवश्यक जानकारी।
विशेषताएं
मूलांक 4 के जातक कभी बहुत संपन्न तो कभी बहुत विपन्न अवस्था में भी होते हैं। धन का गमनागमन, उन्नति-पतन, यश-अपयश, जय-पराजय, हानि-लाभ, सौभाग्य-दुर्भाग्य इत्यादि इनके जीवन में आता-जाता रहता है। ये जातक नवीनता के उपासक और प्राचीन रूढ़िवादिता का विरोध करते हैं। मूलांक 4 के जातक पूर्णरूप से सामाजिक होते हैं और उसका निर्वहन करते हैं।
मूलांक 4 के जातक संगठित रहते हैं और दूसरों से भी यही उम्मीद रखते हैं। घर पर साज सज्जा के साथ रहना इन्हें पसंद है और अगर इन्हे असंगठित देखें तो जान लीजिए कि इनके जीवन में कुछ ठीक नहीं है।
मूलांक 4 के जातक त्यौहार, पर्व, पार्टी मनाने के बहुत शौकीन होते हैं और इसी से अपना दिमाग शांत रखते हैं। मूलांक 4 के जातकों का सही और गलत का परख बहुत अच्छी रहती है और ये खुद ईमानदार होते हैं और दूसरों की ईमानदारी का सम्मान करते हैं। इन जातकों के सपने सत्यता के करीब होते हैं और उन्हें मेहनत से पूरा करने में आप कभी पीछे नहीं हटते।
मूलांक 4 के जातक निर्माण कार्य जैसी चीजों में ज्यादा निपुण होते हैं, इसके अलावा ये जातक अच्छे इंजीनियर, वकील, मैकेनिक या अकाउंटेंट भी हो सकते हैं। मूलांक 4 के जातक कभी भी अपने आस पास लोगों को शिक्षित करने में कभी नहीं चूकते।
ये जातक वफादार, भरोसेमंद और अपनी बात के पक्के होते हैं और एक अच्छा मित्र या साथी साबित होते हैं। कुल मिला जुला कर ये जातक एक सामाजिक, व्यवहारिक और भरोसेमंद इंसान हैं।
कमियां
अपने तरीके से काम करने के वजह से मूलांक 4 के जातक कभी-कभी जिद्दी या गुस्सैल हो जाते हैं और अपनी जिद्द में दूसरों की बातों को नजर अंदाज कर जाते हैं।
मूलांक 4 के जातक लोगों के मुंह पर बिना लिहाज किए ऐसे बातें बोल देते हैं जिससे इन जातकों के बहुत से शत्रु बन जाते हैं। ऐसी परिस्तिथियों से इन जातकों को बचे और अपने जबान और लिहाज का ख्याल रखना चाहिए।
व्यवहारिक होने के बावजूद मूलांक 4 के जातक अपनी योजनाओं को मूर्त रूप देने में इतना विलम्ब करते हैं जिससे सही मौका हाथ से निकल जाता है।
मूलांक 4 के जातक कभी-कभी ऐसा महसूस करने लगते हैं कि सब ठीक चल रहा है और कुछ भी करने की जरुरत नहीं है, इन जातकों का यही स्वभाव अच्छे मौकों को छोड़ देता है और बाद में बहुत देर हो चुकी रहती है। मूलांक 4 के जातकों को अपनी निरंतरता बनाए रखना चाहिए और यही इन जातकों का स्वभाव भी है।
अगर मूलांक 4 के जातक उम्मीद से कम आराम या मजा करते हैं तो ये जातक निराशा के गर्त में जाने लगते हैं। हालांकि, आराम इन जातकों का स्वभाव नहीं हैं।
विवेचना
स्वामी ग्रह : हर्षल
शुभ समय : 21 जून से 30 अगस्त
निर्बल समय : अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर
शुभ तिथियां : 4, 13, 22, 31
सहायक तिथियां : 2, 11, 20, 29
शुभ वर्ष : 4, 13, 22, 31, 40, 45, 58, 67
सहायक वर्ष : 2, 11, 20, 29, 38, 47, 56, 65, 74
शुभ दिन : रविवार, सोमवार, शनिवार
सर्वोत्तम दिन : शनिवार
शुभ रंग : धूप-छांव, नीला, भूरा, चटक रंग
रत्न : नीलम
रोग : रक्तदोष, संक्रामक रोग, पशु से आघात प्रभावित अंग- पिंडलियां व श्वास क्रिया
देव : गणपति
व्रत : गणेश चतुर्थी
दान : लाल पदार्थ व खाद्यान्न
विवाह संबंध : 15 जुलाई से 15 अगस्त, 15 मई से 14 जून तथा 15 अक्टूबर से 18 नवम्बर के मध्य जन्मे जातक से
व्यवसाय : स्प्रिट, तेल, कैरोसिन, पारा, इत्र, रेल विभाग, वायु सेना, टेक्नीशियन, इंजीनियरिंग, रंगसाजी, छापे का कार्य, टेलीफोन आपरेटर, पत्रकारिता, शिल्प कार्य, विद्युत कार्य, भाषण, उपदेशक, राज्यकर्मचारी, ठेकेदारी
शुभ दिशा : दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम
अशुभ दिशा : उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व
धातु : लौह
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