राखी बांधते समय कैसे बैठें बहन-भाई, किस मंत्र का करें जाप, आइए जानें

हिन्दु धर्म में प्रत्येक रीति रिवाज को मनाने के लिए एक उचित तरीका बताया गया है। जैसे कि यज्ञ-हवन आदि में पंडित और यज्ञ का आयोजन करने वाले किस दिशा में बैठते हैं, उसी प्रकार बहन-भाई को राखी बांधते वक्त किस दिशा में मुंह करके बैठना चाहिए और कौन सा मंत्र बोलना चाहिए यह जानना जरूरी है। उचित विधि से ही रक्षा बंधन का त्योहार मुहूर्त देखकर ही मनाना चाहिए तो आइए जानते हैं राखी बांधने के दौरान बैठने का तरीका और भाई या गुरू को राखी बांधने के दौरान किस मंत्र से अभिमंत्रित करें अपनी राखी।
भाई को ऐसे बांधे राखी
यदि बहन अपने भाई को राखी बांध रही है तो बहन को पश्चिम में मुख करके भाई के ललाट पर रोली, चंदन व अक्षत का तिलक लगाते हुए येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल।। मंत्र के उच्चारण से राखी को अभिमंत्रित करना चाहिए। हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार रक्षा सूत्र बांधे जाते समय उपरोक्त मंत्र का जाप करने से अधिक फल मिलता है। भाई को पूर्वाभिमुख, पूर्व दिशा की ओर बिठाएं। बहन का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। इसके बाद भाई के माथे पर टीका लगाकर दाहिने हाथ पर रक्षा सूत्र बांधे। रक्षा सूत्र बांधते समय उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करें।
गुरु को ऐसे बांधे राखी
और यदि आप शिष्य या शिष्या अपने किसी गुरु को बांध रहे हैं तो बैठने का तरीका और वहीं रहेगा। जिस प्रकार भाई को राखी बांधते है, लेकिन रक्षा मंत्र में थोड़ा सा अंतर है। गुरु को राखी बांधते समय येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वां रक्षबन्धामि रक्षे मा चल मा चल। मंत्र का जाप करें। गुरू रक्षा सूत्र के लिए धास्त्रों में उपरोक्त मंत्र बताया गया है। और ध्यान से देखने पर दोनों मंत्रों में अंतर जरुर नजर आएगा।
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