गायत्री का महत्व और उपासना का उद्देश्य, आप भी जानें

यज्ञोपवीत गायत्री का मूर्तिमान प्रतीक है। यज्ञोपवीत को धारण किए बिना भगवती गायत्री की साधना का धार्मिक अधिकार नहीं मिलता है। गायत्री सद्बुद्धि जिस मस्तिक में प्रवेश करती है, वह व्यक्ति अन्धानुकरण करना छोड़कर प्रत्येक पहलु पर मौलिक विचार करता है। गायत्री संपूर्ण विद्याओं, सुख और समृद्धि का बीज यानि मूल है। गायत्री को जानने के बाद मनुष्य को कुछ और जानना बाकी नहीं रह जाता है। और गायत्री को प्राप्त कर लेने के बाद मनुष्य को किसी अन्य वस्तु को पाना भी शेष नहीं रहता है।
गायत्री उपासना का उद्देश्य
गायत्री उपासना का उद्देश्य व्यक्ति का एक ऐसा अनुकूलन है जिसमें ईश्वर के अजस्र अनुग्रह को धारण कर सकने की पात्रता हो।
गायत्री प्रज्ञातत्व का ही दूसरा नाम है। गायत्री से विवेकशीलता और आत्मोत्कर्ष के लिए के लिए अभीष्ट बल मिलता है।
गायत्री उपासना अन्त:करण के लिए अमृत, मस्तिक के लिए कल्पवृक्ष और काय कलेवर में पारस जैसी भूमिका निभाती है।
गायत्री पारस मणि है। उसके स्पर्श से लोहे के समान कलुषित अन्त:करणों का शुद्ध स्वर्ण जैसा महत्वपूर्ण परिवर्तन हो जाता है।
गायत्री साधना का मार्ग प्रत्येक व्यक्ति के लिए खुला है। गायत्री साधना को अपनाकर हर कोई व्यक्ति अपना कल्याण कर सकता है।
गायत्री की शक्ति महान है। गायत्री अपने उपासक के प्राणों की रक्षा करती है। तथा गायत्री अपने साधक को बल, तेज, अध्यात्म और सत्य का अमूल्य उपहार प्रदान करती है।
गायत्री सद्बुद्धिदायक मंत्र है। गायत्री अपने साधक के मन, अन्त:करण, मस्तिक और विचारों को सन्मार्ग की ओर प्ररित करती है।
गायत्री पारस है। इसका आश्रय लेने वाला व्यक्ति लोहे जैसा कठोर, कालिमा खोकर स्वर्ण जैसी आभा तथा गरिमा प्राप्त करता है।
गायत्री मंत्रों का राजा है। जो कार्य संसार के अन्य मंत्रों से नहीं हो सकता है, वह कार्य गायत्री मंत्र के द्वारा अवश्य सिद्ध हो जाता है।
गायत्री माता का आश्रय लेने पर अज्ञान के अंधकार में भटकाव दूर करके और सन्मार्ग का सही रास्ता प्राप्त करके चरम प्रगति के लक्ष्य तक पहुंचना सहज और संभव होता है।
गायत्री महाशक्ति है। गायत्री का अवलम्बन लेने से एक साधारण व्यक्ति भी महामानव स्तर के पुरूषार्थ को प्राप्त कर सकता है।
गायत्री साधना एक बहुमूल्य दिव्य संपत्ति है। इस संपत्ति को इक्ट्ठा करके साधक इसके बदले में सांसारिक सुख एवं आत्मिक आनन्द भलीभांति प्राप्त कर सकता है।
गायत्री ब्रह्मास्त्र है। इस शास्त्र में वह शक्ति है,जिसमें जीवन को दुखमय बनाये रखने वाली उलझनें सुलझ जाती हैं। और समस्त प्रकार की कठिनाईयों का हल हो जाता है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS