Mangala Gauri Vrat 2023: कब है मंगला गौरी व्रत, जानें शुभ तिथि, महत्व और पूजा विधि

Mangala Gauri Vrat 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस तरह सावन में सोमवार का महत्व होता है, उसी तरह मंगलवार का भी विशेष महत्व होता है। सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विवाहिता अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। ऐसा कहा जाता है कि जो महिला इस व्रत को विधि-विधान से करती है, उस पर मां पार्वती अति प्रसन्न होती है। इसके साथ ही अपना आशीर्वाद बनाए रखती है और सदैव सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद भी देती है। पंचांग के अनुसार, सावन में पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई 2023 को रखा जाएगा। आज इस खबर में जानेंगे कि मंगला गौरी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त और महत्वों के बारे में...
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जानें मंगला गौरी की शुभ तिथियां
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई 2023 को रखा जाएगा। दूसरा 11 जुलाई, तीसरा 22 अगस्त और चौथा 29 अगस्त 2023 को रखा जाएगा।
क्या है मंगला गौरी का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, महिला मंगला गौरी का व्रत अपने पति की लंबी आयु के लिए करती है और जो अविवाहित महिलाएं होती है, वह मंगला गौरी का व्रत अच्छा पति पाने के लिए करती हैं। मंगला गौरी का व्रत वैवाहिक जीवन में खुशहाली और परिवार में सुख-शांति के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है और संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।
जानें मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सावन के मंगलवार के दिन प्रातकाल उठकर स्नान करें और भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें। इसके साथ ही व्रत का भी आरंभ करें। व्रत रखने के बाद पति और पत्नी दोनों साथ में विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। पंडित जी के बताए अनुसार, माता पार्वती को अक्षत, कुमकुम, फूल, फल, माला और सोलह श्रृंगार की सामग्री सारा सामान चढ़ाएं। इसके बाद आपको धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाए और अंत में माता पार्वती और भगवान शंकर से अपने पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करें। सारी प्रक्रिया करने के बाद मंगला गौरी व्रत की कथा सुनें और पूजा समापन होने के बाद अगले दिन यानी बुधवार को पारण करें।
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