International Yoga Day: आखिर कैसे हुआ योग का जन्म, कौन हैं इसके जनक, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

International Yoga Day 2023: प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत 2015 में हुई थी। तब से लेकर अब तक प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व में योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। योग मानव शरीर और मन को स्वस्थ बनाए रखने के लिए एक उत्तम साधना है, जो आपके मन को शांत करता है। लेकिन आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिरकार योग का जन्म कैसे हुआ और इसके जनक कौन हैं। आखिर सबसे पहले योग का प्रचार-प्रसार किसने किया। इन सभी सवालों का जवाब योग दिवस के शुभ अवसर पर जानते हैं।
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जानें योग का जन्म कैसे हुआ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान महादेव आदियोगी हैं। पौराणिक कथाओं और प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, योग की उत्पत्ति उनसे ही मानी गई है। ऐसी मान्यता कि लगभग 15 हजार साल पहले हिमालय की चोटियों पर एक योगी प्रकट हुए थे। योगी को प्रकट देख लोग उनके चारों ओर एकत्र होकर बैठ गए। सभी लोग योगी जी के बोलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं थे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बोला। योगी जी वहां पर बैठे रहे। काफी महीने बीत गए। लोग वहां से धीरे-धीरे चले गए। उस आदियोगी के पास केवल 7 लोग बचे थे। वे 7 लोग और कोई नहीं बल्कि सप्तर्षि थे। वे उस आदियोगी के पास ही बैठे रहे। वे सात ऋषी हठ कर बैठे हुए थे। तब आदियोगी शिव ने उनको कुछ अलग अभ्यास कराया। उसके बाद आदियोगी ने उन सप्तर्षियों को सूर्य देव के दक्षिणायन होने के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख कर बैठने को कहा। इसके बाद वे अपने शिष्य सप्तर्षि को शिक्षा-दीक्षा देनी प्रारंभ कर दी। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन से योग का आरंभ हुआ था।
योग का प्रचार-प्रसार सप्तर्षि ने किया था
ऐसा कहा जाता है कि जब आदियोगी ने सप्तर्षि को पूर्ण ज्ञान दे दिया, तो उनको अलग-अलग 7 दिशाओं में भेज दिया गया। उन सातों में से एक आदियोगी के पास ही रूक गए। बाकी के 6 लोग में से दो भारत में और 4 दुनिया के अलग-अलग कोने में चले गए। उसी समय से योग के बारे में विस्तार हुआ।
आखिर कौन है योग के जनक
आधुनिक योग के जनक महर्षि पतंजलि को कहा जाता है। कहा जाता है कि महर्षि पतंजलि ने 5000 हजार साल पहले योग सूत्र की रचना की थी, जिसे योग दर्शन का मूल ग्रंथ कहा गया है। महर्षि योग को पूरे विश्व तक सहज रूप से पहुंचाने का काम किया था। उन्होंने अष्टांग योग, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और आखिरी समाधि के बारे में विस्तार से बताया है। धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि पतंजलि को शेषनाग का अवतार माना जाता है। इसके साथ ही तिरुमलाई कृष्णमाचार्य को भी योग के आधुनिक युग का जनक माना गया है।
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Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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